प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
नौ अप्रैल चैत्र मास के चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। इसी दिन से हिंदू नववर्ष का शुभारंभ हो जाएगा।
नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है।
मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इस चैत्र नवरात्र किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। सभी नौ दिन मां देवी को समर्पित हैं। कलश स्थापना का मुहूर्त भी अतिमहत्पपूर्ण है। सही काल, योग और मुहूर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए।
सुबह नौ बजे से सूर्यास्त तक कलश स्थापना का मुहूर्त: नौ अप्रैल को सुबह पांच बजे से सूर्यास्त तक कलश स्थापना की जा सकती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू हो जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल की रात 11 बजकर 55 मिनट से शुरू हो जाएगी, जिसका समापन नौ अप्रैल की रात नौ बजकर 43 मिनट पर होगा।
उदया तिथि के आधार पर चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू होगी। वहीं, नौ अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
इसबार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। मंगलवार को चैत्र नवरात्र शुरू होने के कारण मां का वाहन घोड़ा होगा। नवरात्र पर देवी पूजन और नौ दिनों के व्रत का बहुत महत्व है। नवरात्र के नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं।
इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनका पसंदीदा भोग लगाकर मां का आशीर्वाद पाया जा सकता है।
सूर्योपासना का महापर्व चार दिवसीय चैती छठ 12 अप्रैल से शुरू होगा। 12 अप्रैल को नहाय खाय व 13 अप्रैल को व्रती खरना पूजन करेंगे। 14 अप्रैल की संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं, 15 अप्रैल को सुबह के अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन होगा।
17 अप्रैल को रामनवमी- पंडित डॉ उपेंद्र मिश्र ने बताया कि रामनवमी की पूजा का मुहूर्त 11:17 से 01:35 बजे तक है। कहा कि रामनवमी के दिन ही भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन घरों में विशेष पूजा पाठ और हवन किया जाता है।
नवरात्र का पारण दशमी तिथि 18 अप्रैल को किया जाएगा। नवमी का व्रत एवं हवन बुधवार 17 अप्रैल को किया जाएगा। रामनवमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना अच्छा माना जाता है।
9 दिन की पूजा- विधि :
- सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
- मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।