अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीन और पाकिस्तान की हरकतों का जवाब देने के लिए भारतीय सेना बड़ा प्लान तैयार कर रही है।
घुसपैठ और चीनी सेना की छिपकर की जाने वाली हरकतों से निपटने के लिए सेना ने आधुनिक फास्ट पट्रोल बोट्स और आठ लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट को खरीदने का प्लान बना लिया है।
इन बोट्स और क्राफ्ट्स को सीमा पर तैनात किया जाएगा। सर क्रीक और ब्रह्मपुत्र रिवर बेसिन में इन क्राफ्ट और बोट्स के अलावा 118 इंटीग्रेटेड सर्विलांस ऐंड टारगेटिंग सिस्टम में भी लगाए जाएंगे।
पैंगोंग त्सो में पहले से मौजूद है ऐसी बोट
गलवान घाटी की झड़प के बाद भारत और चीन में जब तनाव बढ़ा तब भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो लेक में खास बोट उतार दी गई थीं। बता दें कि यह लेक 134 किलोमीटर लंबी है और 13900 फीट की ऊंचाई पर है।
अब सेना ने सोमवार को6 बोट्स् औऱ आठ लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट के लिए रिक्वेस्ट फॉर इनफॉर्मेशन जारी किया है। इनको गुजरात में कच्छ के रन और ब्रह्मपुत्र रिवर के साथ ही सुंदरबन डेल्टा में तैनात किया जाएगा।
सेना का कहना है कि ये फास्ट पट्रोल बोट एक बार में 8 जवानों को ले जा सकती हैं। इसके अलावा इसमें सर्विलांस, अटैक और अन्य कई आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
वहीं लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट 35 जवानों को ले जा सकता है। किसी भी आपात स्थिति में जवान पलक झपकते पहुंच सकते हैं।
जैसे कि गलवान घाटी जैसे मामलों में भारतीय जवान इस क्राफ्ट के जरिए बहुत कम समय में पहुंचकर अपने जवानों की मदद कर सकते थे। आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेंशन) का जवाब देने की आखिरी तारीख 28 नवंबर है।
बता दें कि पैंगोंग त्सो में सेना ने 12 फास्ट पट्रोल बोट उतारी हैं। वहीं गोवा में इस तरह की नावें सेना ने उतारी हैं ताकि नौसेना के जहाजों पर जरूरी उपकरणों की सप्लाई की जा सके।
ये नाव 20 जवानों को बहुत ही कम समय में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देती हैं। बता दें कि चीन ने लद्दाख के पैंगोंग लेक इलाके में डिसइंगेजमेंट के बाद दो पुल बनाए हैं और कई सैनिको के शेल्टर भी बना दिए हैं।