छत्तीसगढ़ में तीसरी तक के 40% बच्चे ठीक से लिखना-पढ़ना नहीं जानते, 4000 बालवाड़ियां इसी सेशन से…

छत्तीसगढ़ में शिक्षा सत्र 2023-24 यानी इसी साल से स्कूलों में नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत पढ़ाई शुरू होने जा रही है। पहला बड़ा बदलाव प्राइमरी स्तर पर है।

वजह यह है कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने 2021 में तीसरी, पांचवीं, आठवीं और 10वीं के बच्चों के बीच सर्वे करवाया था।

इसमें भाषा, गणित, अंग्रेजी और पर्यावरण में राज्य के अंक राष्ट्रीय औसत से कम थे और छत्तीसगढ़ का स्थान देश में 34वां था।

रिपोर्ट में यह बात भी आई थी कि तीसरी तक के 40 प्रतिशत बच्चे पढ़ना लिखना नहीं जानते।

इसी कमी को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग प्रदेश में 4000 नई बालवाड़ियां खोलने जा रहा है। पिछले साल 5173 बालवाड़ियां खुली थीं।

इस सत्र की खास बात ये है कि बालवाड़ियों के लिए 46 हफ्ते का नया मास्टर सिलेबस बनाया गया है। इसकी किताबें छपने जा रही हैं।

प्राइमरी के शिक्षकों की ट्रेनिंग चल रही है, क्योंकि उन्हें ही बालवाड़ियों में दो-दो घंटे पढ़ाना है। विभाग की कोशिश है कि 2027 तक प्राइमरी के शत-प्रतिशत बच्चे लिखना-पढ़ना अच्छे से जान जाएं।

प्रदेश में अभी 5173 बालवाड़ियों में 35,000 छात्र पढ़ रहे हैं। 4 हजार और बालवाड़ियां खुलने से छात्रों की संख्या 70,000 हो जाने का अनुमान है।

बालवाड़ियों से बच्चों को होने वाले फायदे की पड़ताल की तो अफसरों ने ही स्वीकारा कि पिछला कोर्स जल्दबाजी में बना था।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से जारी एनईपी का अध्ययन किया, तब खुलासा हुआ कि इस कोर्स में कमियां हैं।

इसीलिए एससीईआरटी, महिला एवं बाल विकास विभाग और यूनिसेफ ने मिलकर नया सिलेबस डिजाइन किया है। इसमें 4 एनजीओ की मदद भी ली गई।

नए सिलेबस में अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली, प्रभावशाली संप्रेषण और परिवेश से जुड़ाव पर फोकस है यही नहीं, एससीईआरटी अब पहली से तीसरी तक के नए सिलेबस पर काम कर रहा है, जो 2 साल में लागू हो सकता है।

दरअसल बालवाड़ी को लेकर केंद्र और राज्य का पूरा फोकस है।

यही वजह है कि एससीईआरटी प्रोग्रेस पर हर हफ्ते फॉलोअप ले रहा है। छत्तीसगढ़ भी एनआईसी से एप बनवा रहा है, जिसमें शिक्षकों को हर हफ्ते की गतिविधियां अपलोड करनी होंगी। इसका मूल्यांकन जिला कलेक्टर,एससीईआरटी और स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।

एक बालबाड़ी का बजट 2 लाख

केंद्र और राज्य की सरकार मिलकर एक बालवाड़ी पर 2 लाख रुपए खर्च कर रही हैं। इनमें इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट, रंग-रोगन और टॉय किट दी गई हैं।

प्राथमिक शाला के शिक्षक 2 घंटे बालवाड़ी में पढ़ाएंगे, इन्हें 500 रुपए अतिरिक्त वेतन मिलेगा। इस पूरी कवायद में सबसे बड़ी कड़ी शिक्षक हैं।

इन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है, क्योंकि पढ़ाना उन्हें ही है।

सर्वे रिपोर्ट की 14-15 को समीक्षा, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 14-15 फरवरी को केंद्र की 2 सर्वे रिपोर्ट पर एनालिसिस होगा।

14 फरवरी को नेशनल एचीवमेंट सर्वे, जिसमें कक्षा तीसरी और पांचवी में बच्चों के पढ़ाई के स्तर पर समीक्षा होगी।

15 फरवरी को फंडामेंटल लिट्रेसी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर पहली, दूसरी और तीसरी के छात्रों में सीखने की क्षमता पर चर्चा होगी।

एसआईटी के नए सिलेबस का ड्राफ्ट

  • मास्टर सिलेबस सर्किल टाइम 30 मिनट का होगा। गीत सुनकर दोहरा पाना। एक मुद्दे पर चर्चा जैसे-बारिश, जिसके गीत, घटनाएं, बचाव।
  • तीज-त्यौहारों पर बातचीत की जाएगी। जैसे-दिवाली, होली, दशहरा, रक्षाबंधन, मकर संक्रांति और नागपंचमी कब और इसके पीछे की वजह।
  • संख्या ज्ञान जैसे-बारिश के कारण स्कूल मैदान में कीचड़ है। तब दिए गए रास्ते पर कीचड़ से बचना और छात्र को बस्ते तक पहुंचाना।
  • गीला-सूखा बताना। वस्तुओं को छूकर प्रकृति बताना जैसे- रेत, मिट्‌टी, कपड़ा।
  • वस्तुओं को देखकर कम-ज्यादा, छोटा, मोटा, पतला या लंबा होने अर्थात आकार का अनुमान लगाना।

भाषा ज्ञान {बच्चों को समझाना कि कौन सी भाषा सही है। साथ ही यह भी बताना कि विवरण कैसे देते हैं। उदाहरण: बारिश का क्या ब्याैरा।

“नई शिक्षा नीति के तहत अभी पूरा फोकस प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करना है। इसी के मद्देनजर बालवाड़ी सिलेबस बना है। कक्षा 1 से 3 तक के पाठ्यक्रम पर भी काम जारी है।” -अजय सिंह राणा, निदेशक-एससीईआरटी

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