देश में कोरोना के मामलों में तेजी से कमी देखी गई है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि केस कम होने पर भी जांच करवाने वालों की संख्या डबल हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के दूसरे सप्ताह में रोज आने वाले केस लगभग आधे हो गए हैं।
पहले यह भी कहा जाता था कि जांच में कमी होने की वजह से केस कम सामने आ रहे हैं। हालांकि मौजूदा ट्रेंड ने इस बात को गलत साबित कर दिया है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों के आंकड़े भी यही दिखाते हैं कि कोरोना के मामले बढ़ नहीं रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि अगर केस बढ़ते दिख रहे हैं तो यह तकनीकी खामी का भी परिणाम हो सकता है।
मार्च 2020, जब से कोरोना ने भारत में पैर फैलाए थे उसके बाद से सबसे कम केस इस नवंबर में आए हैं। हालांकि आधे नवंबर के बाद अचानक टेस्टिंग बहुत ज्यादा बढ़ गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जारीआंकड़ों के मुताबिक केवल 14 नवंबर को 1.3 लाख टेस्ट करवाए गए। यह पिछले सात दिनों का औसत आंकड़ा है।
29 नवंबर तक यह आंकड़ा बढ़कर 2.9 लाख हो गया। यह भी सात दिनो का औसत है। हालांकि देश में कोरोना के नए मामले औसतन 750 से घटकर 325 हो गए हैं।
इंडियन काउंसल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अधिकारियों के मुताबिक टेस्टिंग में इसलिए वृद्धि हुई है क्योंकि इस दौरान कई अन्य वायरल इन्फेक्शन बढ़ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल में दिखाने जाने वाले लोगों को कोविड टेस्ट की भी सलाह दी जाती है।
लोग शक दूर करने के लिए भी कोविड टेस्ट करवाते हैं। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र से जारी आंकड़े शायद तकनीकी दिक्कत की वजह से ज्यादा हैं।
उन्होंने कहा कि सोमवार को उत्तर प्रदेश में तकनीकी खामी की वजह से एक लाख टेस्ट दिखा रहा था। जबकि कुल टेस्ट 18 हजार ही हुए थे।
उन्होने कहा कि औसत रूप से उत्तर प्रदेश में रोज 25 हजार टेस्ट हो रहे हैं।