राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को विश्वास जताया कि देश (2047 में) अपनी आजादी का शताब्दी समारोह मनाये जाने के समय तक विश्वगुरु बन जाएगा।
विशाखापत्तनम में रामकृष्ण तट पर नौसेना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत को महान कहा जाता है, क्योंकि यह ऊर्जा से भरे हुए लोगों का देश है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘चाहे यह संगीत हो, खेल, संस्कृति और सेना हो, भारत के लोगों के पास ऐसी ऊर्जा है कि हर कोई भारत को आगे ले जाने की दिशा में बढ़ रहा है। मैं आश्वस्त हूं कि जब भारत अपनी आजादी का शताब्दी समारोह मनाएगा, तब तक यह विश्वगुरु बन जाएगा और अपने गौरव को वापस पा लेगा।’
हालांकि, उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि कुछ अंतराल को पाटने की जरूरत है, ताकि हर भारतीय गर्व के साथ आगे बढ़ सके और नए तथा विकसित भारत में प्रवेश कर सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि नौसेना दिवस ने भारत को आगे ले जाने, अमृत काल से गुजरते हुए एक सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ने की जरूरत को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि देश के विकास और समृद्धि में महासागर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘नौसेना की जिम्मेदारी भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों के लिए सुरक्षा आवरण सुनिश्चित करना है।
इसे अपने संकल्प, प्रतिबद्धता, क्षमता विकास में भविष्योन्मुखी और कार्रवाई में नतीजा देने के प्रति दृढ़ रहना होगा, जैसा कि इस साल नौसेना दिवस की थीम ‘लड़ाई के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य में सुरक्षित’ से जाहिर होता है।’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारतीय नौसेना आत्मनिर्भरता द्वारा संचालित होती है। तीनों सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होने के नाते मैं आश्वस्त हूं कि नौसेना मजबूती प्राप्त करना जारी रखेगी और नये एवं विकसित भारत के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेगी।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में हर बच्चे को शिक्षा मिले। यह मायने नहीं रखता कि वे कहां और किन परिस्थितियों में रहते हैं।
शिक्षा अवश्य ही सभी के लिये सुलभ होनी चाहिए।’ राष्ट्रपति सोमवार को तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना करेंगी।