ईरान ने देश की मॉरल पुलिस को भंग कर दिया है।
अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंताजारी के हवाले से मीडिया में यह खबर आई है।
उन्होंने कहा, ‘नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है। इसे अब भंग कर दिया गया है।’
सरकार का यह फैसला उन लोगों की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है जो करीब तीन महीने से जबरन हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
अटॉनी जनरल से धार्मिक सम्मेलन में मॉरल पुलिस को लेकर सवाल पूछा गया था। एक प्रतिभागी ने सवाल किया था कि नैतिकता पुलिस को बंद क्यों नहीं किया जा रहा है? इसके जवाब के दौरान उन्होंने इसे भंग किए जाने की जानकारी दी।
मालूम हो कि नैतिकता पुलिस को औपचारिक तौर पर गश्त-ए-इरशाद के नाम से जाना जाता है।
इसकी स्थापना ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति मेहमूदक अहमदीनेजाद के कार्यकाल के दौरान हिजाब संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन
दरअसल, इसी साल 16 सितंबर को कुर्दिश मूल की 22 साल की महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
हिजाब खिसकने की वजह से पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर प्रताड़ित किया था। हालांकि ईरान प्रशासन की ओर से इसे लेकर लगातार सफाई दी जा रही है और उनका कहना है कि महसा की मौत एक हादसा था। मालूम हो कि ईरान में शरिया पर आधारित हिजाब का कानून लगाया गया है।
महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में प्रदर्शनकारी हिजाब को लेकर सख्त नियमों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।
इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए ईरानी सुरक्षा बलों की ओर से गोला बारूद, रबड़ की गोलियों और आंसू गैस का उपयोग करके क्रूर कार्रवाई गई है। एचआरएएनए के मुताबिक 18,173 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
प्रदर्शनों में 300 से अधिक लोगों की मौत
रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े पैमाने पर हुए इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 300 लोगों की जानें गई हैं।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर के एयरोस्पेस के बल कमांडर अमीर अली हाजीजादेह ने यह जानकारी दी।
मेहर समाचार एजेंसी ने हाजीजादेह के हवाले से कहा, ‘हाल के दंगों में 300 से अधिक लोग मारे गए। हम दुश्मनों और हमारे पक्ष में खड़े लोगों के बीच अंतर करने में असमर्थ थे।’