अपने प्रेमी को धीमा जहर देकर उसकी हत्या करने की दोषी ग्रीष्मा को केरल की एक अदालत ने सोमवार को सजा-ए मौत दी है।
इससे केरल में मर्दों के संगठन ऑल केरल मेन्स एसोसिएशन (AKMA) में खुशी की लहर है।
इस एसोसिएशन ने ग्रीष्मा को मौत की सजा सुनाने वाले नेय्याट्टिनकरा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए एम बशीर को सम्मानित करने का फैसला किया है, जबकि केरल हाई कोर्ट के कई रिटायर्ड जजों ने इस फैसले की आलोचना की है।
सोमवार को न्यायाधीश ए एम बशीर ने 24 वर्षीय ग्रीष्मा को अपने प्रेमी और लिव इन में रह रहे पार्टनर शेरोन राज को जहर देकर मारने का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, AKMA ने बुधवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए एम बशीर के कटआउट पर दूध चढ़ाकर उनके फैसले पर जश्न मनाने और पाल अभिषेकम की तैयारी की है।
पाल अभिषेकम केरल में एक धार्मिक अनुष्ठान होता है, जिसमें देवताओं की मूर्ति या उनकी तस्वीर पर दूध चढ़ाया जाता है। यानी दुग्धाभिषेक किया जाता है।
ऑल केरल मेन्स एसोसिएशन के मुताबिक, अनुष्ठान के दौरान जज ए एम बशीर का कटआउट तिरुवनंतपुरम में राज्य सचिवालय के बाहर रखा जाएगा और लोग उन पर दूध चढ़ाकर उनका अभिषेक करेंगे। इस दौरान लोग पटाखे भी फोड़ेंगे और जश्न मनाएंगे।
एसोसिएशन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस कार्यक्रम का उद्घाटन दक्षिणपंथी कार्यकर्ता राहुल ईश्वर करेंगे।
बड़ी बात ये है कि यह संगठन केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज केमल पाशा का भी विरोध करने की योजना बना रहे हैं क्योंकि उन्होंने जिला अदालत द्वारा ग्रीष्मा को फांसी देने के फैसले का विरोध किया था और सार्वजनिक तौर पर इसकी आलोचना की थी।
पाशा समेत कई अन्य रिटायर्ड जजों और अन्य लोगों ने इस फैसले पर उंगली उठाते हुए कहा था कि ग्रीष्मा को दी गई मौत की सजा सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित मानदंडों का उल्लंघन है।
बता दें कि जिला अदालत ने ग्रीष्मा को 2022 में उसके प्रेमी शेरोन राज की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई है। न्यायालय ने मामले में तीसरी आरोपी एवं महिला के रिश्तेदार निर्मलकुमारन नायर को भी तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
24 वर्षीय दोषी ग्रीष्मा ने अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों, पूर्व में कोई आपराधिक इतिहास नहीं होने और अपने माता-पिता की इकलौती बेटी होने का हवाला देते हुए सजा में नरमी का अनुरोध किया था लेकिन अदालत ने अपने 586 पृष्ठ के फैसले में कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषी की उम्र पर विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
शेरोन राज तिरुवनंतपुरम जिले के परसाला के मूल निवासी थे। आरोप था कि ग्रीष्मा के परिजनों ने उसकी कहीं और शादी तय कर दी थी, इसलिए वह राज से छुटकारा पाना चाहती थी। इसलिए, उसने अपनी मां और चाचा के साथ मिलकर शेरोन राज की हत्या की साजिश रची थी।
अभियोजक के अनुसार, अदालत ने यह भी पाया कि दोषी ने चरणबद्ध तरीके से अपराध को अंजाम देने की साजिश रची थी, उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि थी।
इससे पहले भी दोषी ने युवक की हत्या का प्रयास किया था और जांच को भटकाने के लिए गिरफ्तारी के बाद आत्महत्या की कोशिश की थी।
फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए पीड़ित की मां प्रिया ने पत्रकारों से कहा कि वह ये आदेश जारी करने के लिए अदालत की आभारी हैं।