सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- धीवर समाज की ओर से विश्व मत्स्य दिवस पर मछुआरों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मछुआरों ने पुश्तैनी व्यवसाय मछली पालन में आ रही समस्याओं को लेकर चर्चा की। उन्होंने साय सरकार से सन 1950 के पहले से मिल रही आदिवासी आरक्षण का दर्जा वापस देने की मांग करते हुए सड़क की लड़ाई लड़ने एकजुट होने का आह्वान किया।
रामबाग स्थित मत्स्य सोसाइटी भवन में गुरूवार को हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धीवर समाज के प्रदेश महासंरक्षक परमेश्वर फूटान रहे।
अध्यक्षता धीवर समाज धमतरी के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद जगबेड़हा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में होरीलाल मत्स्यपाल, सोसाइटी अध्यक्ष यशवंत कोसरिया, राजकुमार फुटान, सोनूराम नाग मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले मछुआरों का सम्मान किया गया। इसमें मीडिया प्रतिनिधि शैलेन्द्र नाग, धन्नाराम, मन्नूलाल कोसरिया, करियाराम ढीमर, अरूण बाई, शंकरलाल, भारत फुटान, सोनूराम कोसरिया, पुन्नी बाई आदि का सम्मान किया गया।
इस मौके पर संरक्षक परमेश्वर फूटान ने कहा कि दुनियाभर में 21 नवंबर को विश्व मत्स्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य मत्स्य पालन, मछुआरों तथा मत्स्य किसानों तथा पशुपालन के हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना है। लेकिन आज भी धमतरी समेत छत्तीसगढ़ में मछुआरों को आदिवासी का दर्जा पुन: बहाल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है। उन्होंने बताया कि साल 1950 से पहले मछुआरों को आदिवासी का दर्जा प्राप्त था, लेकिन बाद में संविधान संशोधन के समय त्रुटिवश मछुआरों का नाम आदिवासी आरक्षण की सूची से हट गया। मछुआरों के हित में इसे फिर से आदिवासी सूची में जोड़ा जाए।
आरक्षण के लिए 30 लाख मछुआरा एक मंच में आकर करेंगे संघर्ष…
धीवर समाज के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद जगबेड़हा ने कहा कि धमतरी में मछुआरों की आबादी करीब 10 हजार तथा पूरे प्रदेशभर में करीब 30 लाख है। मछुआरे अपना पुश्तैनी व्यवसाय मछली पालन को बचाए रखने के लिए किसी भी स्तर पर जाकर संघर्ष के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मछली पालन नीति बनाते समय मछुआरों का काफी अहित किया गया था।
तरिया-डबरी के लिए एकजुट हो समाज…
धमतरी मत्स्य सोसाइटी के अध्यक्ष यशवंत कोसरिया, राजकुमार फुटान ने कहा कि मछुआ नीति में संशोधन कर गैर समूह के बदले मछुआ समूह को ही तरिया-डबरी देने की मांग की। इसके लिए मछुआरा समाज को एक मंच में एकजुट होकर संघर्ष का भी आह़्वान किया गया। कार्यक्रम में गोकुल राम, नोहर राम, तीरथराज, दुर्गेश रिगरी, रज्जू, बसंत, लच्छी राम, संतोष सार्वा, पांडूराम, हरीश चौबे, विष्णु ढीमर, निर्मलाबाई समेत बड़ी संख्या में मछुआरे मौजूद रहे।