डोनाल्ड ट्रंप की जीत से इज़राइल होगा और भी ताकतवर, कमला हैरिस की जीत से यूक्रेन को मिलेगा फायदा; जानें किस देश पर होगा क्या असर…

अमेरिका अपना अगला राष्ट्रपति चुनने जा रहा है।

डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। कहा जा रहा है कि अमेरिका का यह सबसे बड़ा चुनाव अन्य देशों के लिए भी बेहद अहम होने वाला है।

माना जा रहा है कि चाहें हैरिस जीतें या ट्रंप, लेकिन इसका बड़ा असर चीन, ईरान जैसे कई देशों पर पड़ सकता है।

चीन

चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा आर्थिक प्रतिद्वंदी माना जाता है। अब ट्रंप पहले ही चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर की बात कह चुके हैं। उन्होंने पिछले कार्यकाल में 250 बिलियन डॉलर के टैरिफ चीनी आयात पर लगाए थे।

इस साल ट्रंप ने कहा था कि अगर वह जीत जाते हैं, तो चीनी माल पर टैरिफ 60 से 100 फीसदी बढ़ा देंगे। साथ ही डेमोक्रेट सरकार आने पर भी जो बाइडेन के कार्यकाल में लागू टैरिफ से पीछे हटने की संभावनाएं कम हैं।

रूस और यूक्रेन

सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ट्रंप प्रशासन और रिपब्लिकन नेताओं का एक वर्ग का रुझान यूक्रेन के और सैन्य सहायता देने में कम हो सकता है।

ऐसे में रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की क्षमताओं पर असर पड़ सकता है। रिपोर्टस के अनुसार, कीव युद्ध जारी रखने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी सहायता पर निर्भर है। साथ ही ट्रंप पहले कह चुके हैं कि वह 24 घंटे में युद्ध खत्म कर सकते हैं।

उनके बयान से माना जा रहा है कि वह रूस के साथ समझौते के लिए मजबूर करने के लिए यूक्रेन को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगा सकते हैं।

माना जा रहा है कि अमेरिका की मदद के बगैर यूक्रेन जमीन का बड़ा हिस्सा गंवा सकता है। इधर, हैरिस कह चुकी हैं कि अगर वह जीतती हैं तो उनका प्रशासन जब तक जरूरत होगी तब तक यूक्रेन की मदद करेगा, लेकिन अब तक साफ नहीं हो सका कि बयान का मतलब क्या था।

रिपोर्ट के अनुसार, हैरिस प्रशासन भी यूक्रेन को आर्थिक समर्थन देने में मुश्किलों का सामना कर सकता है। दरअसल, यह इसपर निर्भर करेगा कि कांग्रेस में किस पार्टी का दबदबा है।

इजरायल

रिपोर्ट में इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के सर्वे में पाया गया था कि इजरायली हितों के लिहाज से 65 फीसदी प्रतिभागियों ने माना था कि ट्रंप बेहतर विकल्प होंगे।

जबकि, 13 फीसदी हैरिस के पक्ष में थे। ट्रंप ने कहा था, ‘जो भी यहूदी है या यहूदी होने से प्यार करता है और इजरायल से मोहब्बत करता है और अगर वह डेमोक्रेट को वोट देता है, तो वह बेवकूफ है।’ पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी माना था।

इधर, हैरिस पर इजरायल को लेकर अस्पष्ट बने रहने के आरोप लग रहे हैं। उन्होंने इजरायल की सैन्य रणनीति की भी आलोचना की थी।

हालांकि, इजरायल विरोधी छवि को बदलने के लिए अगस्त में उन्होंने कहा था कि वह हमेशा इजरायल के खुद की रक्षा करने के अधिकार के साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा था, ‘और मैं हमेशा सुनिश्चित करूंगी कि इजरायल के पास खुद का बचाव करने की क्षमता रहे।’

ईरान

रिपोर्ट में रॉयटर्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि क्षेत्रीय और पश्चिमी अधिकारी मानते हैं कि ट्रंप का जीतना ईरान के लिए बुरी खबर हो सकता है।

कहा जाता है कि वह इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने जैसे कदमों के लिए हरी झंडी दे सकते हैं, जिसका बाइडेन ने विरोध किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, हैरिस जीतने की स्थिति में बाइडेन के तनाव कम करने के रुख को अपना सकती हैं। उन्होंने अक्टूबर में इजरायल के हमले के बाद ईरान को दिए संदेश में जवाबी कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा था और क्षेत्र में तनाव करने की बात पर जोर दिया था।

चैनल से बातचीत में रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट थिंक टैंक में फैलो मिशेल बी रीस ने कहा था कि इस बात की संभावनाएं कम हैं कि हैरिस प्रशासन अपना मौजूदा रुख बदलेगा।

उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया को लेकर उनके दृष्टिकोण, नीतिया या सीनियर कैबिनेट पदों पर उनकी पसंद के बारे में नहीं जानते हैं।

मेरा मानना है कि हैरिस भी बाइडेन की विदेश नीति मानना जारी रखेंगी। इसमें सहयोगियों और दोस्तों से अच्छे रिश्ते और डिप्लोमेसी पर खास ध्यान देना शामिल है।’

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