भारतीय और चीनी सैनिकों ने चार साल से अधिक समय के अंतराल के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्ती शुरू कर दी है।
2020 में दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सीमा पर यह कदम सकारात्मक बदलाव का संकेत दे रहा है।
टकराव वाले क्षेत्रों से सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के एक दिन बाद सैनिकों ने गुरुवार को देपसांग और दमचोक में क्षेत्रों में गश्ती की।
गौरतलब है कि मई-जून 2020 में पैंगोंग झील और गलवान क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प के बाद लगभग साढ़े चार साल तक पूर्वी लद्दाख में इन दोनों क्षेत्रों में गश्त बंद थी। इन झड़पों के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
इससे पहले दोनों देशों ने पिछले सप्ताह एक समझौते पर सहमति व्यक्त की जिसका उद्देश्य चार साल से चल रहे सीमा तनाव को समाप्त करना है।
सीमा पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते में देपसांग और डेमचोक से सैन्य कर्मियों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को हटाने और सैनिकों को अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस बुलाने की बात कही गई थी।
सैनिकों ने कल दिवाली के अवसर पर लद्दाख में चुशुल माल्डो और दौलत बेग ओल्डी सहित LAC पर पांच जगहों एक दूसरे के साथ मिठाइयां भी बांटी थी।
खबरों के मुताबिक भारतीय सेना अब इस बात की जांच कर रही है कि चीन ने समझौते के अनुसार अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है या नहीं।
भारतीय सेना ने कहा है कि दोनों पक्षों के ग्राउंड-लेवल कमांडर गलतफहमी से बचने के लिए गश्त करने से पहले एक-दूसरे को सूचित करेंगे। सेना के सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर पर बातचीत जारी रहेगी।