राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विपक्षी दलों के उन आरोपों को सिरे से खंडन कर दिया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गतिरोध की बात कही जा रही है।
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने शनिवार को कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। दोनों संगठनों को एक बड़े परिवार का हिस्सा बताते हुए होसबोले ने दोहराया कि दोनों के बीच एकता बरकरार है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आरएसएस और भाजपा के बीच कोई भी असहमति आंतरिक मामला है और इसे पारिवारिक और संगठनात्मक स्तर पर संभाला जाना चाहिए।
अप्रैल-जून के आम चुनावों से पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान की ओर इशारा करते हुए होसबोले ने कहा कि ऐसे मुद्दों को सार्वजनिक मंच पर बोलने की आवश्यक्ता नहीं है।
हम एक परिवार का हिस्सा हैं। इसे आंतरिक रूप से संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनके बयान के तुरंत बाद वे जेपी नड्डा के आवास पर मिले और साथ में भोजन किया।
होसबोले ने सौहार्दपूर्ण संबंधों की पुष्टि की और किसी भी तरह की कड़वाहट की धारणा को खारिज कर दिया।
होसबोले के बयान आरएसएस और भाजपा के बीच राजनीतिक विभाजन के बारे में बढ़ती अटकलों की पृष्ठभूमि में आए हैं। होसबोले के अनुसार, दोनों संगठनों के बीच संबंध निर्भरता का नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता का है।
प्रत्येक को व्यापक लक्ष्यों और राष्ट्रीय हित में संरेखित करते हुए अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आरएसएस किसी भी राजनीतिक समूह के प्रति दुश्मनी नहीं रखता है। होसबोले ने कहा, “हम किसी के लिए नफरत नहीं फैलाते हैं।
हम सभी को आमंत्रित करते हैं। यहां तक कि राहुल गांधी को भी, कि वे आकर हमसे बात करें।”
यह संदेश खास तौर पर मौजूदा राजनीतिक माहौल में वजनदार है। राहुल गांधी हमेशा अपने राजनीतिक भाषणों में आरएसएस का जिक्र करते हैं और देश में कथित सांप्रदायिक वैमनस्य के लिए संगठन को जिम्मेदार ठहराते हैं।
होसबोले ने राहुल गांधी के “मोहब्बत की दुकान” वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग प्यार और एकता की बात करते हैं, लेकिन वे आरएसएस के साथ बातचीत करने के लिए तैयार नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि यह अनिच्छा उन आदर्शों को कमजोर करती है जिन्हें वे विकसित करने का दावा करते हैं।