तलाक और ज्योतिष: एक विश्लेषण…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

विवाह का सवाल किसी ज्योतिषी से पूछे जाने वाले प्रमुख सवालों में से एक है।

लोग रोजगार से पहले विवाह का सवाल पूछते हैं, जो व्यक्तिगत तौर पर मुझे काफी अजीब बात लगती है। विवाह के समय गुण मिलान के साथ-साथ और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इससे जुड़ा एक लेख मैंने ‘विवाह का त्रिग्रह सिद्धांत’ नाम से लिखा है, जिसे आप पढ़ सकते हैं। इ

स लेख में हम तलाक और उसके ज्योतिषीय कारणों के विषय में बात करने की कोशिश करेंगे। ज्योतिष में रुचि रखने वाले लोग यह बात जानते होंगे की पंचम भाव प्रेम का भाव होता है।

सप्तम भाव विवाह (साझेदारी) का भाव होता है। जब भी किसी जातक का सप्तम भाव पीड़ित होता है या सप्तमेश पाप ग्रहों के प्रभाव होता है तो ऐसी स्थिति में जातक को असामान्य वैवाहिक जीवन का सामना करना पड़ता है।

इसके साथ-साथ अगर पंचम भाव की स्थिति अच्छी ना हो, जो कि प्रेम एवं संतान का भाव भी होता है, तब भी जातक को असमान्य वैवाहिक जीवन का सामना करना पड़ता है।

इसके साथ-साथ गुरु जो स्त्री की कुंडली में विवाह का कारक होता है तथा प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में धर्म का कारक होता है और शुक्र जो पुरुष की कुंडली में विवाह का कारक होता है। इन दोनों ग्रहों की स्थिति अगर कुंडली में अच्छी ना हो तो वह भी असमान्य व्यवहारिक जीवन का कारण बनती है।

कई बार सवाल आता है कि इस कुंडली में तलाक होगा या नहीं? इस सवाल पर मैं इतना ही कह सकता हूं कि विवाह दो लोगों के मध्य होता है तो तलाक का विचार भी दोनों की कुंडली को देखकर ही किया जा सकता है।

किसी एक की कुंडली को देखकर यह तो बताया जा सकता है कि इनका वैवाहिक जीवन सामान्य रहेगा या नहीं, लेकिन सिर्फ एक कुंडली के आधार पर यह नहीं बताया जा सकता कि इस व्यक्ति का तलाक होगा या नहीं। ऐसा संभव है कि एक के ग्रह बहुत ज्यादा खराब हों, लेकिन दूसरे के ग्रह बहुत ज्यादा अच्छे हो और चीजें उतनी ना बिगड़ें।

तलाक में एक और बात ध्यान देने वाली है कई बार आपने सुना होगा कि लोग कहते हैं कि धनाढ्य एवं पढ़े-लिखे लोग तो अपनी शादी नहीं चला पाए, लेकिन गरीब व्यक्ति तमाम परेशानियों के बाद भी रिश्ता निभा रहा है।

कल ही एक लेख मैंने पढ़ा, जिसमें लिखा था कि अभिनेत्रियां तलाक ले रही हैं, लेकिन घर में काम करने वाली गंगूबाई शराबी पति से मार खाकर भी रिश्ता निभा रही है।

दरअसल, गंगूबाई रिश्ता निभा नहीं रही है बल्कि रिश्ते को ढो रही है, क्योंकि गंगूबाई के पास कोई विकल्प नहीं है। अगर गंगूबाई आर्थिक रूप से मजबूत होती, उसके पास अलग रहने का विकल्प होता तो निश्चित तौर पर गंगूबाई अपने शराबी पति का सिर फोड़ कर उसे तलाक दे देती।

इसके साथ-साथ तलाक में एक और बहुत महत्वपूर्ण कारक कार्य करता है, जिसमें एक महिला को बचपन से या सिखाया जाता है कि जिस घर में तुम्हारी डोली जाए उसी घर से तुम्हारी अर्थी वापस आनी चाहिए। इसके साथ-साथ बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो छोटे शहरों के लोग अभी तलाक जैसे शब्द को अपनाने के लिए तैयार नहीं हुए हैं।

छोटे शहरों में तलाक अभी भी एक ऐसा ठप्पा है, जो अपने साथ दर्जनों ताने साथ लाता है। इस सबके बाद भारत की न्याय प्रणाली जिस तरह की है उसको देखकर भी आदमी सोचता है क्यों कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ा जाए, जैसा चल रहा है वैसा चलने दो।

इसके बाद कई बार आदमी शराब पीने लगता है या फिर कोई आत्मघाती कदम उठा लेता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए यह कह पाना तो थोड़ा मुश्किल है कि किसी तलाक होगा या नहीं।

हां, लेकिन यह कह सकते हैं कि अगर दोनों की कुंडली में पंचम भाव, सप्तम भाव उसके स्वामी और गुरु पीड़ित अवस्था में हैं तो उनका वैवाहिक जीवन किसी नर्क से कम भी नहीं होगा।

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