अमेरिका ने भारत सरकार के एक कर्मचारी विकास यादव पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की कथित नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है।
संघीय अभियोजकों ने न्यूयॉर्क स्थित एक अमेरिकी अदालत में दायर एक अभियोग में दावा किया कि विकास यादव (39) कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत था जहां भारत की विदेशी खुफिया सेवा ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रॉ) का मुख्यालय है।
भारत सरकार ने अमेरिकी धरती पर किसी अमेरिकी नागरिक की हत्या की ऐसी किसी भी साजिश में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है।
इस पूरे मामले की जांच अमेरिका की ताकतवर संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) कर रही है।
FBI को लेकर हॉलीवुड फिल्मों में कितना भी बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाता रहा हो लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि एक कॉन्ट्रैक्टर ने पूरे अमेरिकी सिस्टम को हिलाकर रख दिया था और खूब जगहंसाई कराई थी। हम बात कर रहे हैं एडवर्ड स्नोडेन (Edward Snowden) की।
एडवर्ड स्नोडेन का नाम आते ही दुनिया के सबसे बड़े लीक स्कैंडल्स में से एक की याद आती है, जिसने अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की छवि को हिलाकर रख दिया।
2013 में, स्नोडेन ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) की जासूसी गतिविधियों और नागरिकों की निजी जानकारी पर नजर रखने वाली योजनाओं का खुलासा किया।
यह मामला अमेरिकी इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ बना, और स्नोडेन को लेकर दुनिया भर में एक बड़ी बहस छिड़ गई।
कौन हैं एडवर्ड स्नोडेन?
एडवर्ड स्नोडेन एक अमेरिकी कंप्यूटर प्रोफेशनल और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के पूर्व कर्मचारी थे। वह NSA के लिए कॉन्ट्रैक्टर के रूप में काम कर रहे थे जब उन्होंने अमेरिकी सरकार की कई गुप्त निगरानी योजनाओं का पर्दाफाश किया।
स्नोडेन ने मीडिया के जरिए दुनिया को बताया कि कैसे NSA ने फोन कॉल्स, इंटरनेट डेटा और नागरिकों के निजी संचार को बिना उनकी सहमति के मॉनिटर किया।
उनकी इस लीक ने दुनिया भर के देशों को चौंका दिया और अमेरिकी सरकार की गुप्त जासूसी योजनाओं पर गंभीर सवाल उठाए।
क्या था स्नोडेन का खुलासा?
स्नोडेन ने जिन प्रमुख दस्तावेजों का खुलासा किया, उनमें शामिल थे:
PRISM प्रोग्राम: इस निगरानी प्रोग्राम के जरिए NSA ने गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य प्रमुख इंटरनेट कंपनियों के डेटा तक पहुंच बनाई और उनका इस्तेमाल किया। यह एक बड़ा खुलासा था, क्योंकि यह दिखाता था कि अमेरिकी नागरिकों की प्राइवेट जानकारी को सरकार किस तरह देख रही थी।
फोन रिकॉर्ड्स: स्नोडेन ने बताया कि कैसे NSA ने लाखों अमेरिकियों के फोन रिकॉर्ड्स को ट्रैक किया। इनमें कॉल की तारीख, समय, और अवधि जैसे डेटा शामिल थे।
विदेशी नेताओं की जासूसी: स्नोडेन ने यह भी खुलासा किया कि NSA सिर्फ अपने नागरिकों की ही नहीं, बल्कि विदेशी नेताओं की भी जासूसी कर रही थी। इनमें जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का फोन टैप करने जैसी गतिविधियां शामिल थीं।
FBI और अमेरिकी सरकार की शर्मिंदगी
स्नोडेन के खुलासे ने न केवल अमेरिकी सरकार को आलोचना का सामना करने पर मजबूर किया, बल्कि FBI और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की साख पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया। FBI ने स्नोडेन को पकड़ने के लिए प्रयास किए, लेकिन वह कभी सफल नहीं हो सकी। स्नोडेन ने हांगकांग से भागने की योजना बनाई और वह रूस पहुंच गए।
रूस में शरण: अमेरिका की बड़ी हार
जब स्नोडेन रूस पहुंचे, तो यह अमेरिकी सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी साबित हुई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें अस्थायी शरण प्रदान की, जिससे अमेरिका के और रूस के संबंधों में खटास आ गई। इस घटना ने पूरी दुनिया में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों की क्षमताओं और उनकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े किए।
स्नोडेन के रूस में रहने ने उसे एक राजनीतिक शरणार्थी बना दिया और अमेरिका को यह समझ में आ गया कि स्नोडेन को वापस लाना लगभग असंभव है। अक्टूबर 2020 में, उन्हें रूस में स्थायी निवास प्रदान किया गया। सितंबर 2022 में, स्नोडेन को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा रूसी नागरिकता प्रदान कर की गई।
स्नोडेन का प्रभाव और विवाद
स्नोडेन के खुलासे ने दुनिया भर में गोपनीयता और सरकारी निगरानी पर एक नई बहस को जन्म दिया। उनके समर्थक उन्हें एक नायक मानते हैं, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर नागरिक अधिकारों की रक्षा की।
वहीं, अमेरिकी सरकार और उनके आलोचक उन्हें देशद्रोही मानते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला। स्नोडेन की इस घटना के बाद दुनियाभर की सरकारें अपनी निगरानी नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर हुईं।
एडवर्ड स्नोडेन का मामला एक गहरे नैतिक और कानूनी विवाद का विषय बना हुआ है। उनकी लीक की गई जानकारी ने यह सवाल उठाया कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की निजी जानकारी को इस हद तक निगरानी में रखा जाना उचित है।
वहीं, रूस में शरण लेकर स्नोडेन ने अमेरिका को एक ऐसी कूटनीतिक चुनौती दी, जिसे हल करना मुश्किल साबित हुआ। स्नोडेन का यह कदम और उसकी परिणति आज भी वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के समीकरणों को प्रभावित करती है।