प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
सत्ताइस नक्षत्रों में उत्तरा फाल्गुनी 12 वां नक्षत्र है।
यह नक्षत्र सिंह राशि के 26 डिग्री 40 मिनट से कन्या राशि के 10 डिग्री तक फैला है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार युद्ध में इस्तेमाल होनेवाले मजबूत और सबसे बड़े जानवर हाथी का दांत इसका प्रतीक है।
इस नक्षत्र में जन्म लेनेवाला व्यक्ति युद्ध विद्या में निपुण, लड़ाकू और साहसी होता है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र स्त्री नक्षत्र है और इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के जातक में नेतृत्व के गुण जन्म से ही होते हैं। व्यक्ति यदि चंद्रमा के प्रभाव में हो तो विद्या-बुद्धि से युक्त धनी एवं भाग्यवान होता है।
उत्तरा फाल्गुनी जातक मित्र बनाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इस नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति स्थायित्व में यकीन रखता है। इन्हें बार-बार काम बदलना पसंद नहीं होता।
इस नक्षत्र में जन्में लोगों का बचपन आनंद में रहता है। जीवन सरल और प्रेमपूर्ण रहता है परंतु स्वास्थ्य में प्राय: उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
परिवार का सहयोग हमेशा बना रहेगा तथा यह व्यक्ति अपने परिवार को कभी निराश नहीं करते। इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं का जीवन आनंद में रहेगा हालांकि कुछ व्यावसायिक कर्म से पति से अलगाव हो सकता है।
एक निश्चित उम्र में आध्यात्मिकता अत्यधिक मददगार और शांतिदायक रहेगी। इस नक्षत्र में जन्में पुरुष नियमित रूप से स्वास्थ्य संबंधित उतार-चढ़ाव का अनुभव करते हैं।
मुख्य रूप से पेट दर्द, फेफड़े संबंधी रोग और पक्षाघात के दौरे पड़ सकते हैं। महिलाओं को किसी तरह की गंभीर बीमारी नहीं होती है लेकिन वह गर्भाशय, हर्निया और गैस्ट्रिक समस्याओं से पीड़ित हो सकती हैं। इस नक्षत्र के चारों चरणों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य है। इस नक्षत्र में जन्मा जातक अपने क्षेत्र का विद्वान होगा। मंगल की दशा अंतर्दशा में जातक का भाग्योदय होगा। गुरु की दशा शुभ फल देगी।
द्वितीय चरण : इसका स्वामी शनि है। इस चरण में जन्मा जातक राजा या राजा के सामान वैभवशाली एवं पराक्रमी होता है। लग्नेश बुध की दशा उत्तम फल देगी। शुक्र की दशा में जातक का भाग्योदय होगा।
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी भी शनि है। इस चरण में यदि चंद्रमा भी है तो व्यक्ति हर हाल में अपने शत्रुओं पर विजयी होगा। लग्नेश बुध की दशा अच्छा फल देगी। शुक्र व शनि की दशा में जातक का भाग्योदय होगा।
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी गुरु है। इस चरण में जन्मा व्यक्ति धार्मिक स्वभाववाला अपने संस्कारों के प्रति आस्थावान एवं सभ्य होगा। शुक्र की दशा में जातक का भाग्योदय होगा एवं बृहस्पति की दशा उत्तम फल देगी।