राम जी की आरती, आरती कीजे श्री रामलला की…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

भगवान राम की उपासना से ऐश्वर्य की प्राप्ति, जीवन के विघ्न बाधा को दूर कर मनोकामना पूर्ण होती है।

दशहरा पर भगवान राम की कृपा से सभी बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

भगवान श्री राम को प्रसन्न करने के लिए आज उनकी आरती जरूर करें। भगवान की आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 

आगे पढ़ें भगवान श्री राम की आरती-

श्री राम जी की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।

पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।

करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

राम जी की आरती

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।

हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥

पहली आरती पुष्पन की माला।

काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

दूसरी आरती देवकी नन्दन।

भक्त उबारन कंस निकन्दन॥

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।

रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

चौथी आरती चहुं युग पूजा।

देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥

पांचवीं आरती राम को भावे।

रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

भगवान राम की आरती

आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।

धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।

सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।।

कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।

शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।

नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं

भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।

सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।

खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।।

दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।

देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।

कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।

देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।

आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।

कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।

सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।

धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।

राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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