भारतीय वायुसेना ने चीन के जासूसी गुब्बारों को मार गिराने में महारत हासिल कर ली है।
बीते दिनों दौरान वायुसेना ने इसकी प्रैक्टिस की। इस दौरान चीनी गुब्बारों जैसे ऑब्जेक्ट्स को हवा में उड़ाया गया। इसके बाद राफेल फाइटर जेट ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइस के जरिए इस ऑब्जेक्ट को मार गिराया।
भारतीय सेना का यह अभ्यास चीन की जासूसी से निपटने की पूर्व तैयारी का हिस्सा है। अगर 200 फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाले चीनी गुब्बारे भविष्य में जासूसी करने के इरादे से भारत की सीमा पर दिखते हैं तो सेना उन्हें आसानी से मार गिराएगी।
गौरतलब है कि साल 2023 के जनवरी-फरवरी महीने में कुछ चीनी जासूसी गुब्बारे अमेरिका में 200 फीट की ऊंचाई पर कई दिनों तक उड़े थे।
बाद में अमेरिकी एफ-22 रैप्टर ने इन गुब्बारों को एआईएम-9एक्स साइडवाइंडर मिसाइल का इस्तेमाल करके मार गिराया था।
बाद में अमेरिका ने भारत समेत विभिन्न देशों को इस बारे में जानकारी दी थी। सूत्रों ने बताया कि आईएएफ ने टीटीपी का फॉर्मूला तैयार किया है।
इस फॉमू्ले का इस्तेमाल इसी तरह के हालात का सामना करने में होगा। यह टीटीपी है, टैक्टिस, टेक्निक्स और प्रॉसीजर।
सूत्रों के मुताबिक राफेल का यह प्रदर्शन पिछले साल चार फरवरी को 55 हजार फीट की ऊंचाई पर किया गया। जिस ऊंचाई पर प्रैक्टिस की गई थी, यह उससे कहीं ज्यादा थी। इसके अलावा टारगेट बनाया गया बैलून उस चीनी बैलून से छोटा था जिसने अमेरिका हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था।
पांचवीं जनरेशन के एफ-22 ने 58 हजार फीट की ऊंचाई से 60 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे बैलून पर मिसाइल से हमला किया।
गौरतलब है कि चीनी जासूसी गुब्बारे अनमैन्ड एयरशिप्स जैसे होते हैं। यह खास किस्म का ट्रांसमिशन भेजते हैं, जिन्हें डिटेक्ट या इंटरसेप्ट करना बहुत मुश्किल होता है। 2022 की शुरुआत में अंडमान और निकोबार के करीब गुब्बारे जैसा ऑब्जेक्ट देखा गया था।
हालांकि तब इस पर कोई एक्शन नहीं हो पाया था। वजह, तब तक भारत ने महत्वपूर्ण जगहों पर स्थायी आधार पर फाइटर्स की तैनाती नहीं की थी।
बता दें कि चीन अक्सर बंगाल की खाड़ी और दक्षिण भारतीय समुद्र में अपना जासूसी जहाज भेजता रहता है। उसका मकसद भारत की बैलिस्टिक मिसाइल लांच को ट्रैक करना होता है।
इसके अलावा वह नेविगेशन और सबमरीन ऑपरेशन पर भी नजर रखना चाहता है।
आईएफ ने हसीमारा और अंबाला एयरबेस पर 36 राफेल तैनात कर रखे हैं। हसीमारा सिक्किम-भूटान-तिब्बत के करीब और चीन की पूर्वी सीमा के लिहाज से भी अहम है।