शरद पूर्णिमा पर रात में खीर बनाने का है महत्व, जानें कब है शरद पूर्णिमा…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

इस साल अक्टूबर यानी अश्विन मास की पूर्णिमा बहुत खास रहेगी।

पूर्णिमा पर सुपरमून का नजारा देखने को मिलेगा, यह साइज और चमक सामान्य चांद से थोड़ी ज्यादा होगी।  इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं।

इस साल स्रद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 16 अत्टूबर को 8.40 पर शुरू होगी और अगले दिन 4.55 मिनट पर खत्म होगी।

देस से बाहर कई जगह 17 अक्टूबर को भी हंटर मून देखने को मिलेगा।इस तिथि पर चंद्र अपनी सभी 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है। चंद्र अन्य पूर्णिमा तिथियों की अपेक्षा इस पूर्णिमा पर कुछ ज्यादा बड़ा दिखेगा।

क्या है परंपरा

इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। रद पूर्णिमा की रात चंद्र की रोशनी में खीर बनाने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा की रात चांद की रौशनी से अमृत बरसता है, इसलिए चांद की रोशनी में खीर बनाकर रखी जाती है।

शरद पूर्णिमा की खीर बहुत खास होती है, क्योंकि इसमें दूध, चावल, सूखे मेवे, केसर के साथ ही चंद्र के औषधीय गुण भी शामिल रहते हैं। ये खीर हमारे लिए फायदेमंद होती है। इसलिए इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखनी चाहिए।

होती है मां लक्ष्मी की पूजा
 शरद पूर्णिमा की रात में महालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए, ऐसा कहा जाता है कि इस मां लक्ष्मी की पूजा से घर में धन-धान्य में वृद्धि होती है और सुख समृद्धि आती है।

पूजा में कमल के गट्टे की माला से लक्ष्मी मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:। रात पर जागकर मां लक्ष्मी का जागरणकरने का भी विधान है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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