प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
पितृ पक्ष यानी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी बहुत खास मानी जाती है।
यह एकादशी का व्रत सीधे पितरों से जुड़ा है। इस व्रत को रखने से पितरों को सद्गति मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन अगर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है, तो पितृ प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं।
पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस दिन पितरों के नाम का श्राद्ध और तर्पण करने से पितृों का उद्धार होता है और उन्हें सद्गति मिलती है।
इस एकादशी पर जो कुछ भी दान किया जाता है, वो पितरों को जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन संन्यासी पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है।
इस एकादशी को पितरों के लिए मोक्षदायनी एकादशी माना जाता है। इंदिरा एकादशी के दिन एकादशी व्रत कथा के साथ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ बहुत फलदायी रहता है।
भगवान शालिग्राम की विधिवत पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती और पितर प्रसन्न होते हैं। इस दिन व्रत करें और पितरों के लिए खाना बनाकर पांच जगह निकालकर किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए।
ऐसा करने से धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है और घर परिवार में खुशहाली आती हैं।
कब रखा जाएगा इंदिरा एकादशी का व्रत
इस साल 2024 में सितंबर की एकादशी व्रत 28 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा। आचार्य नवंदेश्वर उपाध्याय ने बताया कि इस व्रत का पौराणिक महत्व भी ज्यादा होता है।
धार्मिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी व्रत के प्रताप से पितरों को यमलोक में यातनाएं नहीं सहनी पड़ती उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
इस दिन व्रत रखकर एकादशी का श्राद्ध और श्रीहरि की पूजा कथा करने से सात पीढ़ियों के पितर पाप मुक्त हो जाते हैं। नरक में गए हुए पितरों का उद्धार हो जाता है।