प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पोलैंड और यूक्रेन की अपनी दो देशों की यात्रा के पहले चरण में आज पोलैंड की राजधानी वारसॉ पहुंच गए हैं।
पिछले 45 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली पोलैंड यात्रा है। पीएम मोदी से पहले 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पोलैंड का दौरा किया था और ऐसा करने वाले वह आखिरी प्रधानमंत्री थे।
इन से पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने 1955 और इंदिरा गांधी ने 1967 में पोलैंड की यात्रा की थी।
दो दिनों के पोलैंड यात्रा के बाद 23 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन जाएंगे। इससे पहले पीएम मोदी जुलाई के दूसरे हफ्ते में रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा पर गए थे।
वॉरसा एयरपोर्ट पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। उनका यह दौरा तब हो रहा है, जब दोनों देशों के राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे हो रहे हैं।
भारत और पोलैंड के राजनयिक संबंध में 1954 में स्थापित हुए थे। दो दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी पोलिश राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा और प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक,प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का मुख्य ध्यान रक्षा और रणनीतिक साझेदारी पर केंद्रित होगा।
पोलैंड रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पोस्ट में कहा,”मैं पोलैंड और यूक्रेन की आधिकारिक यात्रा पर जा रहा हूं। पोलैंड के साथ राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरा होने के मौके पर मेरी यह यात्रा हो रही है। पोलैंड मध्य यूरोप का हमारा आर्थिक साझेदार है।”
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि द्विपक्षीय बैठक के अलावा प्रधानमंत्री मोदी जामनगर और कोल्हापुर के महाराजाओं के उन स्मारकों पर भी जाएंगे, जो 1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय मदद की याद दिलाते हैं।
दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 6,000 से अधिक पोलिश महिलाओं और बच्चों को भारत की दो रियासतों (जामनगर और कोल्हापुर) में शरण मिली थी।
इसके अलावा प्रधानमंत्री वहां भारतीय समुदाय को बी संबोधित करेंगे। पोलैंड में करीब 25,000 भारतीय रहते हैं। इनके अलावा वह चुनिंदा पोलिश व्यापारिक नेताओं को भी संबोधित करेंगे।
भारत-पोलैंड के बीच प्रगाढ़ होते सांस्कृतिक संबंध
भारत और पोलैंड के बीच प्रारंभिक संपर्कों का इतिहास 15वीं और 16वीं शताब्दी में देखा जा सकता है, जब पोलिश व्यापारी और यात्री भारत के विभिन्न हिस्सों में आए थे। हालांकि, भारत और पोलैंड के बीच आधिकारिक कूटनीतिक संबंध 1954 में स्थापित हुए। इसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ता गया।
पोलैंड में संस्कृत बहुत पहले से ही पढ़ाई जा रही है। पोलिश विद्वानों ने 19वीं शताब्दी में ही संस्कृत के ग्रंथों का पोलिश भाषा में अनुवाद किया था।
वारसॉ विश्वविद्यालय और जागेलोनियन विश्वविद्यालय में संस्कृत की पढ़ाई की व्यवस्था है। ऐसा कहा जाता है कि इन विश्वविद्यालयों में 1860-61 से ही संस्कृत की पढ़ाई हो रही है।
साल 1893 में वहां एक संस्कृत पीठ की भी स्थापना की गई थी। संस्कृत की शिक्षा पोलिश विद्यार्थियों को भारतीय साहित्य, धार्मिक ग्रंथों और दार्शनिकताओं को समझने में सहायता करती है।
योग से भी जुड़े हैं तार
भारत और पोलैंड के बीच सांस्कृतिक संबंधों की डोर योग से भी जुड़ी हुई हैं। पोलैंड में योग का इतिहास 100 साल से अधिक पुराना है।
पोलैंड में कई योग स्कूल और संस्थान हैं जो विभिन्न योग शैलियों की ट्रेनिंग देते हैं, जैसे हठ योग, विनयसा, और अथर्व वेद।
Yoga Union और Yoga Asana जैसे संस्थान पोलैंड के प्रमुख शहरों जैसे वारसॉ, क्राकोव और पोज़नान में योग की कक्षाएँ और प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करते हैं। ऐसा अनुमान है कि पोलैंड में तीन लाख से अधिक लोग योगाभ्यास करते हैं। वहां करीब एक हजार योग सिखाने वाले केंद्र हैं, जिनमें आठ हजार शिक्षक हैं।
भारत-पोलैंड के बीच व्यापारिक संबंध
हाल के वर्षों में भारत और पोलैंड के बीच व्यापार तेजी से बढा है। दोनों देशों के बीच 2013-2023 के दौरान व्यापार में 192 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।
भारत और पोलैंड ने बीते साल 2023 में 5.72 अरब डॉलर (करीब 48 हजार करोड़ रुपए) का आयात-निर्यात किया था। इसमें भारत से पोलैंड को 3.95 अरब डॉलर (33 हजार 146 करोड़) का निर्यात और पोलैंड से 1.76 अरब डॉलर (14 हजार 770 करोड़) का आयात शामिल है।
भारत पोलैंड को विभिन्न किस्म के वस्त्र, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग, और सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराता है, जबकि पोलैंड भारत को मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और यांत्रिक औजारों का निर्यात करता है।
भारत ने पोलैंड में तीन अरब डॉलर (25 हजार 178 करोड़) से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) और आईसीटी (सूचना-संचार प्रौद्योगिकी) कंपनियां प्रमुख हैं। इन भारतीय कंपनियों ने पोलैंड में करीब 10 हजार लोगों को रोजगार दिया हुआ है।