तेलंगाना की मधुलता की JEE में 824वीं रैंक आई। सुनने-देखने वालों लगेगा कि अब तो बस IIT यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एंट्री और जीवन सेट है।
हालांकि, जमीनी हकीकत कुछ और ही है। परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी युवती IIT नहीं, बल्कि खेतों में बकरी चराने जा रही हैं। इसकी बड़ी वजह परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होना है।
क्या है मामला
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के राजन्ना सिरसिला गांव की रहने वालीं बदावत मधुलता आदिवासी छात्र हैं।
उन्होंने ST यानी अनुसूचित जनजाति वर्ग में JEE की परीक्षा दी और 824 रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्हें IIT-पटना में सीट भी मिल गई थी, लेकिन अब उनका शिक्षण सफर यहीं रुकता नजर आ रहा है। वजह है कि उनके पास फीस भरने के पैसे नहीं हैं और डेडलाइन पास आ रही है।
अखबार से बातचीत में इंटर कॉलेज के उनके शिक्षक बुक्या लिंगम नायक बताते हैं, ‘लड़की आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आती है, तो ऐसे में वह फीस भरने की स्थिति में नहीं है।
IIT की फीस तो छोड़िए, उनका परिवार उन्हें राज्य के किसी सामान्य डिग्री कॉलेज में भी नहीं भेज सकता है। अगर उन्हें मदद नहीं मिली, तो मधुलता को यह रास्ता छोड़ना पड़ जाएगा।’
दरअसल, ट्राइबल वेलफेयर जूनियर कॉलेज की छात्रा मधुलता को 27 जुलाई तक हॉस्टल फीस और अन्य खर्च के लिए 3 लाख रुपये जमा करने हैं।
ऐसा करने के बाद ही वह IIT में अपनी सीट सुनिश्चित कर सकेंगी। खास बात है कि ST छात्रों को ट्यूशन फीस, रहने और अन्य कई खर्चों से छूट मिलती है, लेकिन मौजूदा आंकड़ा भी मधुलता के परिवार को चुकाने के लिए काफी ज्यादा है।
नायक ने अखबार को बताया कि मधुलता के पिता बीमार हैं और ऐसे में उसने परिवार की मदद के लिए बकरियां चराने का फैसला किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को ही राज्य सरकार ने मधुलता से संपर्क साधा है। इसकी जानकारी उनकी बहन सिरिशा ने दी है।