ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पिछले दिनों केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब होने का दावा किया था।
उनके इस सनसनीखेज दावे की काफी चर्चा हुई थी, लेकिन अब उन्हें केदारनाथ धाम समिति की ओर से सु्प्रीम कोर्ट जाने का चैलेंज मिला है।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेंद्र अजय ने शंकराचार्य पर सनसनी फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की आदत है कि रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करें और आरोप लगाएं। उन्हें चर्चा में रहने की आदत पड़ गई है।
उन्होंने आरोपों पर मंदिर समिति का पक्ष रखते हुए कहा, ‘केदारनाथ धाम को जो स्वर्णमंडित कराया गया है, उसमें हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
यह काम मुंबई के एक दान दाता ने किया है। मंदिर समिति और सरकार से इसका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने देश के तमाम मंदिरों में यह काम कराया है।
मुंबई के सिद्धि विनायक, काशी विश्वनाथ मंदिर समेत कई मंदिरों में उन्होंने ऐसा काम कराया है। इस तरह के आरोपों से देश के उन दान दाताओं को भी ठेस पहुंचती है, जो आस्था रखते हैं।’
उन्होंने आरोपों पर मंदिर समिति का पक्ष रखते हुए कहा, ‘केदारनाथ धाम को जो स्वर्णमंडित कराया गया है, उसमें हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
यह काम मुंबई के एक दान दाता ने किया है। मंदिर समिति और सरकार से इसका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने देश के तमाम मंदिरों में यह काम कराया है।
मुंबई के सिद्धि विनायक, काशी विश्वनाथ मंदिर समेत कई मंदिरों में उन्होंने ऐसा काम कराया है। इस तरह के आरोपों से देश के उन दान दाताओं को भी ठेस पहुंचती है, जो आस्था रखते हैं।’
अजयेंद्र अजय ने सोना गायब किए जाने की अफवाहों पर भी विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट करूंगा कि केदारनाथ धाम में जो सोना लगा है, वह 23 किलो के करीब है।
उससे पहले यहां चांदी की प्लेटें थी। उनका वजन 230 किलोग्राम की थीं। तब मीडिया के कुछ लोगों ने अनुमान लगाया कि 230 किलो चांदी की जगह उतना ही सोना आया होगा और कम लगा है।
इससे भ्रम पैदा किया गया। लेकिन सोने के साथ ऐसा नहीं होता है। सोने की परत चढ़ाई जाती है। 1000 किलो तांबा लगा है और उसके ऊपर 23 किलो सोना चढ़ाया गया है।
स्वर्ण मंदिर समेत तमाम स्थानों पर यही तकनीक अपनाई जाती है। उनके ऐसे ही बयान आते रहे हैं। कांग्रेस का एजेंडा चलाने से उन्हें बचना चाहिए।