गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज ने एक वकील को जींस पहनकर दलील देने पहुंचे एक वकील को कोर्ट परिसर से बाहर निकालने के आदेश दिया था।
हाईकोर्ट की इस कार्रवाई से दुखी होकर वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि कोर्ट के पास पुलिस को बुलाकर उसे कोर्ट से बाहर निकालने का कोई अधिकार नहीं है।
इस मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई। वकील को यहां भी झटका लगा और सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक अधिवक्ताओं को पोशाक के लिए तय नियमों का पालन करने की नसीहत दी।
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने अधिवक्ता को कोर्ट परिसर से हटाने के लिए पुलिस कर्मियों को बुलाया था। उच्च न्यायालय के निर्देश से व्यथित होकर वकील ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि हाईकोर्ट के पास पुलिस सहायता से उसे “डी-कोर्ट” करने का कोई अधिकार नहीं है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले को स्थगित कर सकता था। पुलिस को बुलाने के बजाय वकील को कोर्ट से बाहर जाने के लिए कह सकता था। वकील न तो अभद्र हो, न ही अनियंत्रित और उसने कोर्ट से माफी मांगी थी, ऐसी स्थिति में पुलिस को बुलाने की जरूरत नहीं थी।
इस मामले का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, “यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि प्रत्येक अधिवक्ता से अपेक्षा की जाती है कि वह नियमों के अनुसार उचित पोशाक में कोर्ट में आएं और आचरण करें।”
अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से पहले हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने जींस पहनने के कारण उन्हें अदालत से बाहर करने के आदेश को वापस लेने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने हालांकि आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था, “यदि कोर्ट में जींस पहनी जा सकती है, तो आवेदक अगला प्रश्न पूछ सकता है कि उसे फटी जींस, फीकी जींस, प्रिंटेड पैच वाली जींस पहनकर कोर्ट में उपस्थित होने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए। उसे केवल इसलिए काली ट्रैक पैंट या काले पायजामे में उपस्थित होने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए।”