आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने इमर्जेंसी लगाई थी उन्हें संविधान के लिए प्रेम का दिखावा करने की जरूरत नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन लोगों ने ही आर्टिकल 356 को लागू कर दिया था और प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए विधेयक लेकर आए थे। इन लोगों ने संघीय ढांचे को खत्म करने और संविधान का उल्लंघन करने का हर संभव प्रयास किया।
पीएम मोदी ने कहा, जिस पार्टी ने आपातकाल लगाया था उनकी मानसिकता नहीं बदली है। वे दिखावा करके संविधान के तिरस्कार को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन देश के लोगों ने उनकी हरकतें देख ली हैं और इसीलिए एक बार फिर उन्हें रिजेक्ट कर दिया है।
बता दें कि 49 साल पहले 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने देश में आपतकाल लगाया था। संविधान के अनुच्छेद 352 में राष्ट्रपति को आपातकाल लगाने का अधिकार दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर कहा, आज आपताकाल के विरोध में खड़े होने वाले महापुरुषों और महिलाओं के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है।
आपातकाल के काले दिन याद दिलाते हैं कि किस तरह से कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी की स्वतंत्रता छीन ली थी और संविधान को कुचल डाला था।
केवल सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस की सरकार ने लोकतांत्रिक सिद्धातों को भुला दिया और देश को जेल बना दिया। जो भी कांग्रेस से सहमत नहीं था, उसे प्रताड़ित किया गया।
बता दें कि संविधान का सत्र शुरू होने से पहले भी प्रधानमंत्री ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि एक दिन बाद यानी 25 जून को आपातकाल की 50वीं बरसी होगी। उन्होंने इसे देश के इतिहास का काला दिन बताया था।
इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पलटवार करते हुए कहा था कि रस्सी जल गई लेकन बल नहीं गया। बता दें कि आपातकाल लगने पर नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं।
अकाल, बाहरी आक्रमण, आंतरिक अस्थितरता जैसी स्थितियों में आपातकाल लगाया जाता है। ऐसे में सारी प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथ में चली जाती हैं।
अब तक देश में तीन बार आपातकाल लगाया गया है। 1975 के अलावा 1962 और 1971 में युद्ध के दौरान भी आपातकाल लगाया गया था।