निर्जला एकादशी पर इस सरल विधि से करें पूजा, मनोवांछित फल की होगी प्राप्ति…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार) :

:सनातन धर्म में श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है।

धार्मिक मान्यता है विष्णुजी के व्रत और पूजन से समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

वैसे तो हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को विष्णुजी की पूजन और व्रत किया जाता है। लेकिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए विशेष दिन माना गया है।

इस दिन महिलाएं बिना अन्न जल ग्रह किए निर्जला व्रत रखती है। इसे लिए निर्जला एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से विष्णुजी की असीम कृपा प्राप्त होती है। 

आइए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि….

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त :दृक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट रक होगी और अगले दिन यानी 18 जून 2024 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी। ऐसे में 18 जून 2024 को निर्जला एकादशी का उपवास रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी की सरल पूजाविधि :

इन चीजों का लगाएं भोग : पूजा के दौरान विष्णुजी को केला, पंचामृत, पंजीरी और मखाने की खीर का भोग लगा सकते हैं।

मंत्र :

विष्णुजी का बीज मंत्र : ‘ऊँ नमो नारायणाय।” या “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें।
स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें।
केले के पौधे पर जल अर्पित करें।
श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।
उन्हें  फल,पीले फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
इसके बाद विष्णुजी और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
विष्णुजी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें।
अंत में पूजा के दौरान हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।
फिर घर के सदस्यों को प्रसाद वितरण करें।
संभव हो, तो दिन निर्जला व्रत रखें।
अगले दिन द्वादशी तिथि में पारण करें।

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