प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
देवाधिदेव भगवान शिव व देवी पार्वती के शुभ विवाह का पावन पर्व महाशिवरात्रि व्रत व उत्सव शिव प्रदोष और शिवयोग के शुभ संयोग में 8 मार्च को मनाया जाएगा।
इस साल शिवरात्रि की पूजा संपूर्ण विधि विधान के साथ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस बार महाशिवरात्रि पर फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के साथ चतुर्दशी तिथि का संयोग बन रहा है।
ईशान संहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि के दिन ही शिव लिंग के रुप में भगवान शिव प्रकट हुए थे।
शिव पूजन मुहूर्त
डा.वासुदेव शर्मा ने बताया कि भगवान शिव का जलाभिषेक 8 मार्च की रात 9 बजकर 58 मिनट से आरंभ होगा। शुभ व अमृत की चौघड़िया में अभिषेक व पूजन समस्त भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फल देने व कल्याण करने वाला होगा।
महासभा अध्यक्ष ज्योतिषी केसी पाण्डेय ने निर्णयसिंधु व धर्मसिंधु से स्कन्द पुराण, शिव पुराण, लिंगपुराण, नारदसंहिता आदि धर्मग्रंथों का उदाहरण देते हुए बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जिस दिन आधी रात के पहले व आधी रात के बाद चतुर्दशी तिथि प्राप्त हो, व्रत करने वाले शिवरात्रि का व्रत करके पुण्य फल प्राप्त करें।
महाशिवरात्रि पूजा-विधि
वहीं, श्रेष्ठ शास्त्रोंचित समस्त शुभ फल प्रदान करने वाला शिवरात्रि है, जो 8 मार्च की मध्यरात्रि में व्याप्त है। भगवान भोलेनाथ का अभिषेक गंगाजल से, गाय के दूध से, गन्ने के रस से करना उत्तम रहेगा।
मनोकामना पूर्ति के लिए पूजन में बेलपत्र, भांग, धतूरा व फूल, आंक, शमी पुष्प व पत्र, कनेर कलावा व फल, मिष्ठान आदि अवश्य चढ़ाए। साथ में अक्षत, तिल के साथ नीले, सफ़ेद व पीले पुष्प दूर्वा भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है।
कालसर्प दोष, राहु उपाय
पंडित संतोष तिवारी ने कहा कि जिस भी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष या राहु की नकारात्मक स्थति है, उन्हें शिवरात्रि को चांदी अथवा तांबे के नाग-नागिन का जोड़ा भी चढ़ाना चाहिए, यदि संभव हो तो शिव रुद्राभिषेक भी अवश्य कराना चाहिए।