काम-काजी, माता-पिता की चिंता हुई दूर
नन्हें-मुन्ने बच्चों के खेलने-कूदने के लिए महासमुन्द जिले में बना पालनाघर।
कामकाजी महिलाएं अब निश्चिंत होकर अपने बच्चों को पालना घर मंे छोड़ सकेगी। बच्चों के देखभाल के लिए केयरटेकर की भी व्यवस्था की गई।
कामकाजी महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या रहती है कि अपने बच्चों को ऑफिस कार्य जाते समय कहां रखे।
बच्चों की देखभाल कौन करेगा वे अक्सर तनाव में रहती हैं, लेकिन काम और बच्चों की देखभाल दोनों को ही पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाना चाहती है। जिला मुख्यालय में बच्चों के लिए सर्वसुविधायुक्त पालनाघर बनकर तैयार है।
जिला प्रशासन ने इसे छत्तीसगढ़ी में मोर दाई के कोरा का नाम दिया गया है। नाम के अनुरूप अब बच्चे यहां घर जैसा माहौल और ममता पाकर बेहद खुश और आनंदित हैं। बच्चों की खुशी देखकर पालक भी खुश और संतुष्ट हैं।
फिलहाल पालना घर में बच्चों का आना जारी है। धीरे धीरे बच्चों की संख्या बढ़ रही है। बच्चों के पालक चिंता मुक्त होकर अपना कार्य कर रहे हैं। पालना घर का संचालन कार्यालयीन समय सुबह 10:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक किया जा रहा है।
महासमुंद जिले में पहला सर्व सुविधायुक्त पालना घर तैयार किया गया है। विभिन्न रंगों से दीवाल पर बच्चों के आकर्षण के लिए कार्टून बनाया गया है।
पालना घर की मार्गदर्शिका प्रीति साहू ने बताया कि बच्चे बहुत ही खुशी और आनंद के साथ रहते हैं।
पालना घर में बच्चों के खेलने के लिए आवश्यक खिलौने, झूले, शैक्षणिक सामग्री और अन्य सीखने योग्य सामग्री मौजूद है। हाल के चारों तरफ हिंदी और अंग्रेजी में सुंदर अक्षरों में वर्णमाला और गिनती लिखी है। ताकि बच्चे सीख सकें।