भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपनी स्थापना की 150वीं वर्षगांठ के बीच बड़ी खुशखबरी दी है। विभाग ने अब AI और तेज सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल कर मौसम पूर्वानुमान मॉडल को बेहतर बनाने पर फोकस किया है।
आईएमडी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि मौसम कार्यालय गरज के साथ वर्षा और मानसून की भारी बारिश कराने वाले बादलों के बनने की प्रक्रिया को बेहतर रूप में समझने की कोशिश में लगा है।
इसके लिए ओडिशा और मध्य प्रदेश में प्रयोग केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
आईएमडी सोमवार को ‘पंचायत मौसम सेवा’ की शुरुआत अपनी 150वीं वर्षगांठ के मौके पर करेगा, जिसका उद्देश्य हर गांव में हर किसान तक मौसम का पूर्वानुमान पहुंचाना है।
महापात्रा ने कहा कि IMD ने एक लंबा सफर तय किया है, जिसमें 19वीं सदी के अंत में कोलकाता बंदरगाह पर चक्रवात की चेतावनी जारी करने से लेकर मोबाइल फोन तक पहुंचने वाले मौसम पूर्वानुमान शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि अब यह अपनी पूर्वानुमान क्षमताओं को बेहतर करने के लिए AI और मशीन लर्निंग में नवीनतम प्रगति का उपयोग करने की योजना बना रहा है।
NIT और IIT से भी ली जा रही है मदद
महापात्रा ने कहा, ‘एक पुराना संगठन होने के नाते आईएमडी के पास 1901 से मौसम का डेटा है जिसे डिजिटल कर दिया गया है।
AI ऐसा डेटा विज्ञान है जहां हम पूर्वानुमान के लिए उपकरण और तरीके विकसित करने के वास्ते इन सभी ऐतिहासिक डेटा का उपयोग कर सकते हैं।’
महापात्रा ने कहा कि आईएमडी ने एआई-मशीन लर्निंग पर विशेषज्ञ समूह का गठन किया है और उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए NIT (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान), IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान), IIIT (भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान), शैक्षणिक और अनुसंधान व विकास (आरएंडडी) संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल पूर्वानुमान सटीकता और क्षेत्रीय अनुप्रयोगों में सुधार के लिए किया जा सकता है।
तेज सुपर कंप्यूटर का भी होगा इस्तेमाल
आईएमडी प्रमुख ने कहा कि मौसम कार्यालय अपनी संख्यात्मक मॉडलिंग क्षमता में सुधार के लिए उच्च-क्षमता वाली कंप्यूटिंग सिस्टम को और डेवलप कर रहा है।
उन्होंने कहा कि तेज सुपर कंप्यूटर IMD को अधिक क्षेत्र-विशिष्ट और स्थान-विशिष्ट जानकारी जुटाने में मदद करेंगे। दिसंबर में दक्षिणी तमिलनाडु में भारी बारिश के गलत पूर्वानुमान के लिए मौसम कार्यालय की आलोचना हुई थी।
इस बारे में पूछे जाने पर महापात्रा ने स्वीकार किया कि पूर्वानुमान प्रणाली बादल फटने और छोटे स्तर की गंभीर मौसम घटनाओं जैसी मौसमी परिघटना की भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं है। महापात्रा ने कहा, ‘मैं आलोचना को प्रोत्साहित करता हूं।
आलोचना होनी चाहिए ताकि हम सबक सीखें और अपनी पूर्वानुमान प्रणाली में सुधार करें। लेकिन, फिर भी बादल फटने की घटना जैसी कुछ चुनौतियां हैं। 60-90 सेंटीमीटर की वर्षा बहुत ही असाधारण मामलों में होती है। यह प्रणाली फिलहाल इस प्रकार की मौसम प्रणालियों की भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं है।’