म्यांमार के सैन्य शासन विरोधी समूहों और सरकारी बलों में संघर्ष बढ़ता जा रहा है।
इस बीच भारत ने मंगलवार को अपने नागरिकों से पड़ोसी देश की गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी। साथ ही वहां रहने वाले भारतीयों को यांगून में दूतावास में रजिस्ट्रेशन कराने का परामर्श जारी किया।
2021 में म्यांमार में मौजूदा संघर्ष शुरू होने के बाद से बड़ी संख्या में पड़ोसी देश के नागरिकों ने भारत में शरण ली है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, म्यांमार में पिछले महीने से तेज हुई लड़ाई के कारण करीब 90,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
भारत सरकार की ओर से जारी परामर्श में कहा गया, ‘म्यांमार में खराब होती सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर, सभी भारतीय नागरिकों को गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है।
जो लोग पहले से ही म्यांमार में रह रहे हैं उन्हें सावधानी बरतने और हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने से बचने की जरूरत है।
सड़क मार्ग से अंतरराज्यीय यात्रा करने से भी बचा जाना चाहिए।’ विदेश मंत्रालय ने म्यांमार में रहने वाले भारतीय नागरिकों को यांगून में भारतीय दूतावास में पंजीकरण कराने के लिए भी कहा।
म्यांमार के 29 सैनिक भेजे गए वापस
दूसरी ओर, मिलिशिया समूह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ के साथ भीषण मुठभेड़ के बाद भागकर मिजोरम आए म्यांमार के 29 सैनिकों को रविवार को उनके देश वापस भेज दिया गया।
एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इसी के साथ मिलिशिया समूह की ओर से हालिया मुठभेड़ में सैन्य बलों के शिविरों पर कब्जे के बाद भारत आए म्यांमार के अब तक कुल 74 सैन्यकर्मियों को उनके देश वापस भेजा जा चुका है।
ये 29 सैनिक 16 नवंबर को भागकर उस समय मिजोरम आए थे, जब अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ किलोमीटर दूर म्यांमार के चिन राज्य के तुइबुअल में उनके शिविर पर पीडीएफ से संबद्ध एक स्थानीय मिलिशिया समूह ‘चिन नेशनल डिफेंस फोर्स’ (सीएनडीएफ) ने कब्जा कर लिया था।