इजरायल और हमास के बीच जारी जंग अब नया मोड़ लेती दिख रही है। गाजा पट्टी पर हवाई हमले कर रहे इजरायल ने अब उसमें घुसकर जमीनी हमले की तैयारी कर ली है।
किसी भी वक्त गाजा पट्टी में इजरायल के सैनिक घुस सकते हैं। हालांकि अमेरिका जैसे उसके दोस्त ने भी इजरायल को ऐसा न करने की नसीहत दी है।
इसकी वजह यह है कि गाजा पट्टी पर इजरायली कब्जे से खराब संदेश जाएगा और पूरे अरब एवं मुस्लिम जगत में इजरायल के खिलाफ गुस्सा और भड़क सकता है। इसके अलावा गाजा पट्टी में घुसने पर इजरायल के आगे रूस जैसा संकट खड़ा हो सकता है।
गाजा पट्टी में उतरने पर इजरायली सैनिकों को अर्बन वारफेयर का सामना करना पड़ेगा, जैसे रूस को यूक्रेन में फंसना पड़ा था। बीते साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस ने हमला बोला था और शुरुआती करीब एक महीने तक वह हमलावर था।
यूक्रेनी सेना के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा था, लेकिन व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने सेना को बाद में यूक्रेन के भीतर ही भेजने का आदेश दिया।
इसके चलते रूसी सेना कीव, खारकीव जैसे शहरों में फंसती दिखी। यूक्रेनी सेना और नागरिक भी गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाते दिखे और रूस को जोरदार नुकसान पहुंचाया। इसकी वजह अर्बन वारफेयर ही था।
रणनीतिक जानकार कहते हैं कि अर्बन वारफेयर का अर्थ उस स्थिति से होता, जब जंग सीमा पर या किसी खुले स्थान में न होकर शहरी इलाकों में शुरू हो गई हो।
ऐसी स्थिति में उस देश की सेना को बढ़त रहती है, जहां दूसरे मुल्क की सेना घुस आई हो। इसकी वजह यह होती है कि दूसरे देश की सेना को स्थानीय स्तर पर रास्ते या फिर बचकर छिपने की जगहों का पता नहीं होता।
रास्ते में फंसी सेना पर यदि चौतरफा हमला हो जाए तो बच निकलना मुश्किल होता है। कई जगहों पर रूस की सेना को ऐसा चैलेंज झेलना पड़ा था। इसी तरह अर्बन वारफेयर की स्थिति में इजरायल के लिए भी मुश्किल होगी।
युद्धों के इतिहास पर नजर डालें तो आदिकाल, मध्यकाल से लेकर आधुनिक दौर में भी मैदानों में ही जंग होती रही हैं। प्राचीन काल में महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही हुआ था। इसके बाद पानीपत की तीन जंगें हों या फिर तराइन और हल्दीघाटी जैसे युद्ध। ऐसी तमाम जंगें मैदानों में ही हुई थीं।
लेकिन बदलते दौर में दुश्मन देश पर कब्जा करने या फिर उसके संस्थानों को नुकसान पहुंचाने की रणनीति के तहत शहरों में घुसकर भी युद्ध होते हैं।
हालांकि इसका नुकसान कई बार हमलावर को उठाना पड़ता है। इसकी वजह यह भी होती है कि आम नागरिकों को बचाते हुए युद्ध लड़ना आसान नहीं होता।