इजरायल-हमास जंग का आज 30वां दिन है। इजरायल गाजा पट्टी पर लगातार बमबारी कर रहा है।
इससे वहां हताहतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच, हमास ने इजरायली बंधकों की रिहाई के लिए नई शर्त रखी है।
फ्रांस-24 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हमास ने इजरायल के सामने सभी बंधकों की रिहाई के बदले इजरायल की जेलों में बंद सभी कैदियों की रिहाई की मांग की है।
हमास की रिहाई की शर्तों में मारवान बरघौती भी शामिल हैं। यानी इजरायली जेलों को पूरी तरह खाली करने की शर्त रखी गई है।
कौन हैं मारवान बरघौती?
‘फिलिस्तीन के नेल्सन मंडेला’ कहे जाने वाले मारवान बरघौती भी इजरायल की ही जेल में बंद हैं। वह फतह केंद्रीय समिति और फिलिस्तीनी विधान परिषद (PLC) के सदस्य हैं। फतह से जुड़े एक प्रमुख और लोकप्रिय राजनीतिक व्यक्ति हैं, जिन्हें वर्ष 2002 में इजरायली बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था।
फतह के एक उग्रवादी गुट तंजीम के पूर्व नेता मारवान को हत्या और एक आतंकवादी संगठन की सदस्यता के कई मामलों में पांच बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।
पेरिस स्थित थिंक टैंक इंस्टिट्यूट डी रेचेर्चे एट डी’एट्यूड्स मेडिटेरैनी मोयेन-ओरिएंट (iReMMO) के प्रमुख जीन-पॉल चाग्नोलॉड ने कहा, “जब-जब इजरायल के साथ फिलिस्तीन का टकराव या आंतरिक संकट भड़कता है, तो मारवान का नाम सामने आता है।”
चाग्नोलॉड के मुताबिक, मारवान बरघौती को 20 साल पहले दूसरे इंतिफ़ादा (2000-2005) के दौरान गिरफ्तार किया गया था। वह एक सक्रिय फतह नेता थे जिनकी हत्या नहीं की गई थी जबकि उस वक्त इजरायल में कई लक्षित हत्याएं हुई थीं।
जेल की सलाखों के पीछे, बरघौती ने चुप रहने से इनकार कर दिया था। मारवान बरघौती ने 2006 में कैदी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ये दस्तावेज फतह, हमास, इस्लामिक जिहाद, पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (PFLP) और डेमोक्रेटिक फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (DFLP) से जुड़े फिलिस्तीनी कैदियों द्वारा लिखा गया था।
युवा फिलिस्तीनियों के बीच लोकप्रिय
1962 में वेस्ट बैंक के गांव कोबर में पैदा हुए मारवान बरघौती, फिलिस्तीनी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। मारवान को महमूद अब्बास के उत्तराधिकारी के लिए सबसे मजबूत नेतृत्व उम्मीदवारों में से एक के रूप में देखा जाता रहा है।
वह वीर जिट यूनिवर्सिटी के छात्र नेता भी रह चुके हैं। उन्हें मई 1987 में इजरायल ने निर्वासित कर जॉर्डन भेज दिया था।
1993 में ओस्लो समझौते के तहत मारवान को वेस्ट बैंक लौटने की अनुमति दी गई गई थी। इसके अगले ही साल 1994 में वह वेस्ट बैंक में फतह के महासचिव बन गए।
दूसरे इंतिफादा के दौरान, उन्होंने कथित तौर पर इजरायली ठिकानों के खिलाफ सैन्य हमलों का निर्देश दिया। इज़राइल ने उन पर उस समय अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड (एएमबी) की स्थापना करने का भी आरोप लगाया था।
हमास के करीबी और अब्बास के हो सकते हैं विकल्प
2002 से इजरायल के जेल में बंद मारवान ने 2017 में, कैदियों के लिए बेहतर अधिकारों और स्थितियों की मांग के लिए बड़े पैमाने पर भूख हड़ताल का नेतृत्व किया था।
चगनोलॉड के मुताबिक, इन वर्षों में, बरघौती ने खुद को प्रतिद्वंद्वी फिलिस्तीनी राजनीतिक समूहों को एकजुट करने में सक्षम एकमात्र व्यक्ति के रूप में खुद को स्थापित किया है।
वह हमास का करीबी है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनमें लोगों को एक साथ लाने की क्षमता है और यही कारण है कि उनके पास 2021 में विधायी चुनाव जीतने का अच्छा मौका था लेकिन 2021 में फ़िलिस्तीनी चुनाव नहीं हुए।
2004 में यासिर अराफ़ात की मौत के बाद से, महमूद अब्बास फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के एकमात्र अध्यक्ष रहे हैं। हालाँकि उनका जनादेश आधिकारिक तौर पर 2009 में समाप्त हो गया था, लेकिन अब्बास ने पूर्वी यरुशलम को शामिल करने की अनुमति देने से इजरायल के इनकार का हवाला देते हुए चुनावों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था।
रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान
अगस्त 2023 में, उनकी पत्नी फदवा बरघौती ने उनकी रिहाई के लिए एक और अंतर्राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है। इसे “फिलिस्तीन के मंडेला, मारवान बरघौती की स्वतंत्रता” का आंदोलन कहा गया।
वर्षों से बरघौती को मुक्त कराने और नेल्सन मंडेला की तरह मंडेला की तरह नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं।
उनकी तुलना मंडेला से हो रही है क्योंकि मारवान भी 20 से ज्यादा वर्षों से जेल में बंद हैं। इतना ही नहीं मारवान को एक बड़े राजनीतिक वार्ताकार के रूप में भी देखा जाता रहा है। माना जाता है कि उनमें हमास और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध को वार्ता के जरिए रोकने की क्षमता है।