हमास पर हमले के बीच बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ इजरायल में ही असंतोष दिखाई देने लगा है।
गाजा के एक अस्पताल में हवाई हमले को लेकर पहले ही इजरायली सेना दुनिया के निशाने पर है। इस हमले ने एक झटके में 500 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
अब इजरायल के पूर्व पीएम ने ही नेतन्याहू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एहुद ओलमर्ट का आरोप है कि गाजा पट्टी में हमास के बढ़ते वर्चस्व के पीछे नेतन्याहू हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया है कि देश के 80 फीसदी लोग उन्हें बाहर करना चाहते हैं।
एहुद ओलमर्ट ने 2006 से 2009 तक इजरायल में पीएम के तौर पर काम किया है, एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में कहा है कि “नेतन्याहू हमास के साथ समझौते के लिए व्यक्तिगत रूप से और सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं” जिसके परिणामस्वरूप “हमास के 1000 हत्यारों को रिहा किया गया”। उन्होंने आगे दावा किया कि “इजरायल के 80 फीसदी लोग उन्हें बाहर करना चाहते हैं।”
हमास के उदय के पीछे नेतन्याहू जिम्मेदार
ओलमर्ट ने कथित तौर पर उदारवादी फिलिस्तीनियों को हाशिए पर धकेलने वाली नीति के लिए नेतन्याहू को जिम्मेदार ठहराया, जिनके साथ उन्होंने कहा कि बातचीत होनी चाहिए थी।
ओलमर्ट ने दावा किया कि इस नीति ने अनजाने में हमास के उदय में योगदान दिया क्योंकि इसे गैर-बातचीत करने वाली पार्टी माना जाता था, जिससे नेतन्याहू को उन्हें रियायतें देने से बचने की इजाजत मिलती थी।
हमास संग समझौता
ओलमर्ट ने यह भी संदेह व्यक्त किया कि इजरायल के जवाबी कार्रवाई के अधिकार के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की टिप्पणियों का हवाला देते हुए हमास के साथ एक राजनयिक समझौता किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हमास के साथ कोई कूटनीतिक समझौता करने का लक्ष्य है।”
पूर्व इजरायली पीएम ने आकस्मिक क्षति को कम करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह इस बात की प्रतिस्पर्धा नहीं है कि कौन अधिक मारता है।
हमें नागरिकों को मारने में कोई दिलचस्पी नहीं है।” हालाँकि, उन्होंने हमास के हमले के बाद से इज़रायल द्वारा अपनाए गए रुख को भी रेखांकित किया। कहा, “हम शांति चाहते हैं लेकिन हमास के रहते शांति नहीं होगी। हम जानते हैं कि निर्दोष लोग मारे गए हैं लेकिन हमास उन्हें जाने नहीं दे रहा है।”
उन्होंने कहा, “हमें हमास को उसकी स्थिति से हटाने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए। शांति हासिल करने के लिए यह एक आवश्यक कदम है लेकिन अगर हमास वहां है तो कभी शांति नहीं होगी।”
ओलमर्ट कौन हैं
ओलमर्ट ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी से की, लेकिन 2006 में पूर्व प्रधान मंत्री एरियल शेरोन के नेतृत्व में नरमपंथियों द्वारा गठित कदीमा में चले गए थे। जब शेरोन को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा तो उनके तत्कालीन डिप्टी एहुद ओलमर्ट ने देश की कमान संभाली थी।