सूर्य के अध्ययन पर निकला भारत का पहला अंतरिक्ष आधारित मिशन आदित्य एल-1, पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित एल-1 बिंदु की परिक्रमा करेगा।
यान ने अबतक पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। यान अब पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकल गया है।
यानि यान ने एल-1 बिंदु में पहुंचने के लिए आधे से अधिक दूरी तय कर ली है। यह जानकारी हल्द्वानी निवासी इसरो के आदित्य एल-1 साइंस वर्किंग ग्रुप के सदस्य डॉ. भुवन जोशी ने ‘हिन्दुस्तान’ से साझा की है।
उन्होंने बताया कि 2 सितम्बर को सफल लांच के बाद आदित्य एल-1 इस वक्त पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर एल-1 बिंदु की ओर तेजी से बढ़ रहा है। जिसने अबतक केन्द्र में पहुंचने के लिए आधे से अधिक दूरी तय कर ली है।
आदित्य एल-1 का यह क्रूज फेज जनवरी 2024 के पहले हफ़्ते तक यान के एल-1 कक्षा में पहुंचने पर पूरा होगा।
इस बीच आदित्य-एल 1 में लगे आस्पेक्स पेलोड की एक यूनिट स्टेप्स को सफलतापूर्वक चालू कर लिया गया है। जिसने पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर और उसके बाहर अंतरिक्ष में स्थित ऊर्जावान कर्णों के बारे में जानकारियां जुटाई हैं।
अंतरिक्ष के मौसम की जानकारी भेजी
डॉ. जोशी ने बताया कि आदित्य एल-1 के 7 पेलोड यानि अंतरिक्ष उपकरणों में से एक आस्पेक्स है। जिसे अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) ने स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (सैक) के साथ मिलकर विकसित किया है। पीआरएल के प्रोफेसर दिब्येंदु चक्रवर्ती इस पेलोड के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं। आस्पेक्स सौर वायु और अंतरिक्ष के मौसम में होने वाले बदलावों की पल-पल, यथा-स्थान पड़ताल करेगा।
पूरे फेज का अपडेट मिलता रहेगा
आस्पेक्स पेलोड में दो सबसिस्टम स्टेप्स और स्विस लगे हैं जो सौर वायु में मौजूद उच्च और कम ऊर्जा के पार्टिकल्स की जांच करेंगे। स्टेप्स यूनिट को 10 सितम्बर को चालू किया गया जब हमारा आदित्य एल-1 यान पृथ्वी से लगभग 50 हज़ार किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर था। आस्पेक्स की स्टेप्स यूनिट एल-1 बिंदु तक सफर के पूरे क्रूज फेज के दौरान हमें अंतरिक्ष मौसम से जुड़ी अहम जानकारियां प्रदान करेंगी।
सूर्य में होने वाले विस्फोटों का होगा अध्ययन
पीआरएल की उदयपुर स्थित सोलर ऑब्जर्वेटरी के प्रोफेसर व उपप्रमुख डॉ. भुवन जोशी ने बताया कि आदित्य एल-1 में लगे उपकरण सूर्य व सूर्य के अंतरिक्ष पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेंगे। यह मिशन खतरनाक सौर विस्फोटों, सौर कोरोना के 10 लाख डिग्री सेल्सियस ताप और उसके अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों की व्यापक पड़ताल करेगा।
एल-1 कक्षा में पहुंचने के बाद यान में लगे 4 रिमोट-सेंसिंग यानि सुदूर-संवेदी पेलोड जहां सूर्य में होने वाले महाशक्तिशाली विस्फोटों के मल्टी-वेवलेंथ चित्र और स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराएंगे वहीं 3 इन-सीटू यानि यथा-स्थान पेलोड सूर्य-विस्फोटों व सौर वायु के पृथ्वी पर पड़ने वाले असर जो जानने में मदद करेंगे। आदित्य-अल 1 अंतरिक्ष के मौसम की पूर्व-चेतावनी उपलब्ध कराएगा जो अंतरिक्ष संपत्ति की रक्षा में बहुत मददगार होगा।