सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- भारत सदियों से ऋषियों का देश है और यहां अलग-अलग राज्यों की अपनी अलग-अलग पारंपरिक संस्कृतियां भी हैं और पूरा विश्व भारत की संस्कृति को अपनाने की दिशा में अग्रसर है।
भारत की संस्कृति समूचे विश्व स्तर पर विशेष रूप से जानी जाने वाली संस्कृति है।
इसी तरह से छत्तीसगढ़ में माताओ बहनों के लिए तीजा पर्व की संस्कृति बहुत ही प्रसिद्ध है। किसी गांव, शहर से बेटियां शादी होकर जब दूसरे गांव या शहर जाती हैं तो वर्ष में एक बार ग्राम, शहर की सभी बेटियां तीजा के अवसर पर एकत्रित होती है और एक दूसरे से मुलाकात करते हुए एक दूसरे का हाल-चाल को जानने का प्रयास करती हैं।
इस अवसर पर हर घर में करेले की सब्जी बनाई जाती है जिसको करुभात के नाम से जाना जाता है। उस दिन हर घर में करेले की सब्जी खाई जाती है।
जैसे-जैसे लोग धर्म को जानने और समझने लगे हैं वैसे-वैसे इसको और मजबूत करने व निरंतर बनाए रखने के लिए अलग-अलग विद्वानों समाज के वरिष्ठों के द्वारा अनेक प्रकार की आयोजन किए जा रहे हैं। इसी क्रम में वर्तमान में देखा जा रहा है कि कई ग्रामों में ग्रामवासियों के द्वारा या समितियों के द्वारा ग्राम में आई सभी माता बहनों को एक साथ सामूहिक रूप से करुभात का आयोजन किया जाता है।
जिसमें सभी माताए बहने आकर एक साथ ऊंच नीच, अमीर गरीब, का भेदभाव मिटा कर सामूहिक भोज करती हैं।
उमेश साहू सांसद प्रतिनिधि ने बताया कि निमंत्रण के आधार पर उनका ऐसे कई गांवों में जाना हुआ जहां पर जाकर के उन्हें बहुत खुशी हुई, उन्होंने ग्रामवासियों से कहा कि जिस आयोजन को कई बड़े-बड़े संस्थानों के द्वारा करने के लिए काफी लंबा समय लगता है ऐसे महत्वपूर्ण सामाजिक समरसता के आयोजन को ग्रामवासियों ने स्वतःसहज रूप से आयोजित करके आज बहुत बड़ी सामाजिक एकता का परिचय दिए हैं।
उन्होंने आगे कहा की आने वाले समय में लगभग सभी ग्रामों में यह परंपरा शुरू हो जाएगी जिससे भारत अपनी संस्कृति को लेकर और समृद्ध होता जायेगा।