चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराने के एक दिन बाद उसे इसके और नजदीक पहुंचाने की कवायद सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को यह जानकारी दी।
इसरो ने कहा कि वह इस तरह की अगली कवायद 9 अगस्त को करेगा। इसरो ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, ‘अंतरिक्षयान ने चंद्रमा के और नजदीक पहुंचने की एक प्रस्तावित प्रक्रिया पूरी कर ली है।
इंजनों की ‘रेट्रोफायरिंग’ ने इसे चंद्रमा की सतह के और करीब पहुंचा दिया, यानी अब 170 किलोमीटर गुणा 4,313 किलोमीटर।’
इसरो की ओर से कहा, ‘चंद्रयान को चंद्रमा के और नजदीक पहुंचाने की अगली कवायद 9 अगस्त, 2023 को होगी। भारतीय समयानुसार दोपहर 1 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच का यह कार्यक्रम है।’
इससे पहले इसरो ने रविवार को ही चांद का ‘चंद्रयान-3 की ओर से देखा गया एक वीडियो जारी किया। अंतरिक्ष एजेंसी ने वीडियो को कैप्शन के साथ जारी किया, ‘चंद्रयान -3 मिशन: चंद्रमा, जैसा कि चंद्रयान -3 द्वारा चंद्र कक्षा में प्रवेश के दौरान देखा गया।’ वीडियो में दिख रहा है कि चंद्रमा पर नीले हरे रंग के कई गड्ढे हैं।
भारत के नाम दर्ज होगी खास उपलब्धि
ISRO अगर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे चंद्रयान मिशन के लिए शुभकामनाएं दी थीं। उन्होंने कहा था कि भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। यह राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 के आगे का मिशन है, जिसके चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करने की उम्मीद है। मालूम हो कि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता नहीं मिल पाई थी। इस लिहाज से चंद्रयान-3 मिशन को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि सॉफ्ट-लैंडिंग के लिए तारीख इस आधार पर तय की जाती है कि चंद्रमा पर सूर्योदय कब होता है। लैंडिंग करते समय, सूरज की रोशनी होनी चाहिए। चंद्रमा पर 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी होती है और अगले 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं रहती है।