कर्नाटक कांग्रेस ने 11 विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को शिकायती पत्र लिखे जाने के दावे को गलत बताया है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विधायकों की ओर से पैसे की मांग करने का आरोप सही नहीं है। साथ ही जो पत्र वायरल हुआ है उसमें छेड़छाड़ की गई है।
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस पत्र को फर्जी बताया। विधायक बीआर पाटिल का नाम इस लेटरहेड पर है। उन्होंने भी पत्र की सत्यता पर सवाल उठाए। पाटिल ने इसके पीछे भाजपा की चाल बताई।
बीआर पाटिल ने कहा, ‘यह मेरा लेटरहेड है और मैं सीरियल नंबर रखता हूं ताकि पेजों का दुरुपयोग न हो। हालांकि, शेयर हो रहे पत्र में सीरियल नंबर नहीं है। यह फर्जी है।
हो सकता है कि भाजपा ने फर्जी पत्र बनाया हो। इसकी जांच होनी चाहिए।’ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि कर्नाटक में कांग्रेस के नाराज विधायकों ने आरोप लगाया कि वे कोई काम नहीं कर पा रहे हैं। वे लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मंत्री सहयोग नहीं कर रहे हैं।
वायरल पत्र में मंत्रियों पर लगाए गए आरोप
वायरल पत्र में लिखा गया, ‘हम लोगों की उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे हैं। 20 से अधिक ऐसे मंत्री हैं जो हमारे निर्वाचन क्षेत्र में काम को लेकर जवाब नहीं दे रहे हैं।’
सिद्धारमैया को कथित तौर पर लिखे शिकायत भरे पत्र में कहा गया कि मंत्रियों से संपर्क ही नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि काम से जुड़े संदेश भेजने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति से संपर्क करना पड़ता है।
पत्र में लिखा गया, ‘यही वजह है कि लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पा रही हैं। जब हमें प्रोजेक्ट्स के लिए धन पर बात करने की जरूरत होती है तो मंत्री तीसरे शख्स के जरिए संदेश भेजते हैं। हम निराश हैं कि स्थानीय विधायक होने के बाद भी हमें अपने काम के लिए तीसरे व्यक्ति से संपर्क करना पड़ रहा है।’
नाराज विधायकों ने यह भी शिकायत की कि अधिकारियों के तबादले के लिए उनकी सिफारिशों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
पत्र के मुताबिक, अधिकारियों के तबादलों के लिए हमारे अनुशंसा पत्रों पर विचार नहीं किया जा रहा है। कोई भी अधिकारी हमारी बात नहीं सुन रहा है। इन नेताओं ने सीएम से तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की।