मणिपुर के सेनापति जिले के एक गांव में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपियों में से एक को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया।
महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और उनके साथ कथित तौर पर गैंगरेप करने की ये शर्मनाक घटना चार मई को हुई थी।
घटना के वीडियो में नजर आ रहे अपराधियों में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब इस मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि ये पूरी घटना एक फेक वीडियो आने के बाद हुई थी।
जिन महिलाओं को दरिदों ने निर्वस्त्र घुमाया था उनमें से एक के भाई को भीड़ ने उसी दिन में मार डाला था।
इस जघन्य कृत्य का कारण कथित तौर पर एक फर्जी वीडियो था। दरअसल अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई की मांग को लेकर 3 मई को मणिपुर में घाटी-बहुल मैतेई और पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी जनजाति के बीच हिंसा भड़क उठी। पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी एकजुटता रैली के तुरंत बाद झड़पें शुरू हो गईं।
फर्जी खबर से भड़की थी भीड़
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों महिलाएं एक छोटे समूह का हिस्सा थीं, जो 4 मई को एक जंगली इलाके की ओर सुरक्षा के लिए भाग गई थीं।
इसी दौरान भीड़ ने एक गांव पर धावा बोला। ये भीड़ एक फर्जी वीडियो से गुस्साई हुई थी। एक फर्जी वीडियो में दावा किया गया था कि उनके समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। ये भीड़ इसी से भड़क गई। इसने बदला लेने के लिए दूसरे समुदाय की महिलाओं का पीछा किया जो अपनी सुरक्षा के लिए जंगलों में छिपी हुई थीं।
द प्रिंट के अनुसार, प्लास्टिक बैग में लिपटे एक महिला के शव की तस्वीर झूठे आरोप के साथ वायरल हुई। आरोप लगाया गया कि यह एक मैतेई महिला है, जिसके साथ कुकी पुरुषों ने बलात्कार किया और हत्या कर दी।
लेकिन तस्वीर में दिख रही महिला की पहचान दिल्ली की आयुषी चौधरी के रूप में की गई, जिसे 2022 में उसके माता-पिता ने मार डाला था। मणिपुर में 3 मई को मैतेई और कुकी के बीच झड़प के बाद यह झूठी तस्वीर जारी की गई थी। 4 मई, 2023 को कुकी महिलाओं के साथ दरिंदगी हुई।
जंगल में छिप रही थीं महिलाएं
जंगल में छिप रहीं महिलाओं के समूह में दो पुरुष और तीन महिलाएं थीं। तीन लोग एक ही परिवार से थे। इनमें एक 56 वर्षीय व्यक्ति, उनका 19 वर्षीय बेटा और 21 वर्षीय बेटी। उनके साथ दो महिलाएं और थीं, एक 42 साल की और दूसरी 52 साल की।
एफआईआर के मुताबिक, जंगल की ओर जा रहे समूह को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम मिली।
800 से 1,000 लोगों की थी भीड़
पुलिस स्टेशन से लगभग 2 किमी दूर, पुलिसकर्मियों के साथ महिलाओं के इस समूह पर कथित तौर पर लगभग 800 से 1,000 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। भीड़ ने कथित तौर पर महिलाओं के समूह को पुलिस की हिरासत से छीन लिया। कथित तौर पर 19 वर्षीय व्यक्ति की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। लड़के ने भीड़ से अपनी 21 वर्षीय बहन को बचाने की कोशिश की थी।
महिलाओं के रिश्तेदारों द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस शिकायत से पता चलता है कि उनमें से एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था।
भीड़ ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर रोड पर और फिर खेत में घुमाया। पुलिस ने कहा कि शिकायत के आधार पर 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला 21 मई को नोगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां घटना हुई थी।
एक आरोपी गिरफ्तार
मणिपुर में 3 मई से इंटरनेट बंद कर दिया गया। यह वीडियो गुरुवार को सामने आया और तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद, भीड़ में से एक व्यक्ति हेराडास को घटना के दो महीने से अधिक समय बाद आज गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस ने कहा कि 32 वर्षीय व्यक्ति को वीडियो में हरे रंग की टी-शर्ट में देखा गया था।
पुलिस चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक के जरिए वीडियो में दिख रहे अन्य आरोपियों की पहचान स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
पुलिस ने कहा कि लगभग एक दर्जन टीमें मामले पर काम कर रही हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि 77 दिनों तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।