अगला सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी व्यस्त रहने वाला है। वह 20 जून को संयुक्त राज्य अमेरिका जा रहे हैं, जहां वे राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करेंगे, द्विपक्षीय बैठकें करेंगे और महत्वपूर्ण सौदों पर हस्ताक्षर करेंगे।
इसके बाद पीएम मोदी पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा के लिए मिस्र का दौरा करेंगे। साल 2014 में पीएम बनने के बाद यह पहला मौका है जब पीएम मोदी मिस्र का दौरा करने वाले हैं।
पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के लिए काफी अहम है। यह दौरा इसलिए भी रोचक बना हुआ है क्योंकि हाल ही में श्रीनगर में आयोजित जी-20 बैठक के दौरान तुर्की, सऊदी अरब और चीन के अलावा मिस्र ने भी इसमें भाग नहीं लिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून से 25 जून तक राजकीय यात्रा के लिए काहिरा जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी कि “मिस्र की यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की देश की पहली आधिकारिक यात्रा होगी।”
यात्रा का निमंत्रण मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी द्वारा दिया गया था, जो जनवरी 2023 में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भारत के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।
हम प्रधानमंत्री की यात्रा के एजेंडे पर एक नजर डालेंऔर यह नजर आता है कि पिछले नौ वर्षों में बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार के तहत भारत ने मिस्र के साथ संबंधों को कैसे पुनर्जीवित किया है? हालांकि हाल ही में जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित जी-20 बैठक के दौरान तुर्की, सऊदी अरब और चीन के अलावा मिस्र ने भी किनारा किया था।
मिस्र की यात्रा से क्या उम्मीदें
काहिरा में, पीएम मोदी के राष्ट्रपति सिसी के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने, मिस्र सरकार के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों के साथ बातचीत करने, मिस्र की प्रमुख हस्तियों के साथ जुड़ने और प्रवासी भारतीयों से मिलने की उम्मीद है।
पीएम की यात्रा की घोषणा मिस्र द्वारा ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन करने के तुरंत बाद की गई है।
पश्चिम एशियाई राष्ट्र की ब्रिक्स देशों के साथ व्यापार करते समय अमेरिकी डॉलर को कम करने की भी योजना है, एक ऐसा कदम जो अधिक आर्थिक सहयोग का वादा करता है। साथ ही भारतीय मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत बनाता है।
अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करने की मिस्र की इच्छा ब्रिक्स की अपनी मुद्रा सहित अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वैकल्पिक मुद्राओं को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
रक्षा से लेकर शिक्षा में कई समझौते
भारत और मिस्र के बीच मौजूदा समय में 7 अरब डॉलर का व्यापार होता है। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों देश इसे 12 अरब डॉलर तक करना चाहते हैं।
इसमें रक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में कई समझौते शामिल हैं। हाल ही में मिस्र ने भारत से तेजस लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हेलिकॉप्टर और आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी।
कभी रक्षा के क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भर भारत आज 42 देशों को हथियार सप्लाई कर रहा है। इसमें मिस्र का भी नाम जुड़ने वाला है।
इसके अलावा मिस्र ने भारत के आईआईटी संस्थानों की तरह अपने यहां उच्च शिक्षण संस्थान खोलने की इच्छा जताई है। मामले के जानकार बताते हैं कि मिस्र भारत से इस क्षेत्र में मदद की बहुत उम्मीदें रखता है।
भारत के लिए भी यह फायदे का सौदा है, भारत के लिए मिस्र अफ्रीका में निवेश का रास्ता बन सकता है क्योंकि मिस्र पश्चिम एशिया और अफ्रीका की राजनीति में बहुत मज़बूत है।
मिस्र से मबजूत होते रिश्ते
पीएम मोदी ने मिस्र के साथ मजबूत संबंध बनाने की दिशा में काम किया है, यहां तक कि भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में देश को आमंत्रित किया है।
पीएम मोदी को अब्देल फतह अल-सिसी का निमंत्रण गणतंत्र दिवस के लिए उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में रखने के नई दिल्ली के फैसले के प्रतिफल के रूप में देखा जा सकता है।