गजब है छत्तीसगढ़ के अधिकारी, एक ने मोबाइल के लिए पानी बहाया तो दूसरे ने पानी चुराया
OFFICE DESK : छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों पहले कांकेर जिले के पंखाजूर में एक फूड इंस्पेक्टर ने पानी में गिरा अपना महंगा मोबाइल निकालने के लिए बांध का लाखों लीटर पानी ही बहा दिया था.
अब बालोद जिला अफसरशाही के चलते चर्चा में आ गया है. दरअसल जिले में एक SDOP पर डैम का पानी चुराने का आरोप लगा हैं. आरोप है कि अधिकारी मछली पालन के लिए डैम का पानी चोरी कर रहा था.
अफरशाही का यह कारनामा जिले के दर्रीटोला माइनर डैम से सामने आया है. बताया जा रहा है कि पुलिस अफसर पिछले एक साल से मोटर पम्प के जरिए डैम से पानी चोरी कर मछली पालन के लिए इस्तेमाल कर रहा था.
अधिकारीआगे की कार्यवाही में जुट गए हैं.
ग्रामीणों की माने तो जिस व्यक्ति के द्वारा मछली पालन किया जा रहा है, मिडिया रिर्पोट के अनुसार वहां धमतरी जिले में एक पुलिस अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं. मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि जल संसाधन विभाग को दर्रीटोला माइनर डैम में कितना लीटर पानी था, इस बात की जानकारी ही नहीं है.
कितना लीटर अवैध रूप से पम्प लगाकर मछली पालन संचालक द्वारा चोरी किया, इस बात की भी जानकारी विभाग के जिम्मेदारो को नहीं है. कही न कही विभाग के जिम्मेदारों के संरक्षण में बीते एक साल से जलाशय से पानी चोरी किये जाने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता हैं.
बोर का दिया गया था प्रमाण पत्र
मत्स्य विभाग के सहायक संचालक आरके बंजारे ने बताया कि मयंक रणसिंह नाम के व्यक्ति को 0.4 हेक्टेयर और 3.97 हेक्टेयर में मछली पालन की अनुमति 20 मार्च 2022 को दी गई थी और 13 जनवरी 2023 को 1 लाख 12 हजार और 1 लाख 2 हजार 760 रुपये अनुदान राशि दी गई हैं. जब मछली पालन के लिए अनुमति मांगी गई थी,
तो उनके द्वारा 3एचपी बोर का प्रमाण पत्र भी दिया गया था. अब वहां पानी सक्सेस है या नहीं इसकी जानकारी नही हैं और उक्त व्यक्ति के द्वारा जो पता दिया गया है, वो गीतांजलि नगर रायपुर का हैं.
कांकेर में अफसर ने फोन चक्कर में बहा दिया था लाखों लीटर पानी
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कांकेर जिले के पंखाजूर में एक फूड इंस्पेक्टर ने पानी में गिरा अपना महंगा मोबाइल निकालने के लिए बांध का लाखों लीटर पानी ही बहा दिया था. जिसके बाद जलाशय से लगातार पानी निकालने की बात ऊपर तक पहुंची और सिंचाई विभाग के अधिकारी दौड़े-दौड़े मौके पर पहुंचे थे और पंप को बंद करवाया गया. मामला सामने आने के बाद जिला कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी और अफसर को सस्पेंड कर दिया था।