लद गए इमरान खान के दिन, ताबड़तोड़ पार्टी छोड़ रहे उनके करीबी; जानें- अब तक कितनों ने दिया गच्चा?…

 पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं।

कई मोर्चों पर शहबाज शरीफ सरकार से दो-दो हाथ कर रहे इमरान को लगाताड़ कई झटके मिल रहे हैं। अब उनके ही करीबी और भरोसेमंद नेता उनकी पार्टी को अलविदा कर रहे हैं।

पीटीआई छोड़ने वालों में उनकी कैबिनेट में मानवाधिकार मंत्री रहीं शिरीन मजारी सहित पांच बड़े नेताओं का नाम शामिल है।

पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने मंगलवार को पार्टी को अलविदा कहते हुए राजनीति से संन्यास का ऐलान किया है।

इधर, इमरान खान ने आरोप लगाया है कि सरकार उनकी राजनीतिक पार्टी को खत्म करने के लिए दबाव की रणनीति का उपयोग कर रही हैं। माना जा रहा है कि ये नेता 9 मई की घटना के बाद आर्मी एक्ट की कार्रवाई से बचने की कवायद में ये कदम उठा रहे हैं।

पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ के मुताबिक, 9 मई की घटना, जब पीटीआई के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला बोला था, के बाद से पीटीआई के कई सदस्य, जिनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री आमिर कियानी और मलिक अमीन असलम शामिल हैं, ने इमरान खान की पार्टी को छोड़ दिया है।  

पूर्व प्रांतीय मंत्री और पीटीआई के प्रवक्ता फैयाजुल हसन चौहान ने भी पीटीआई छोड़ दिया है। इनके अलावा महमूद मौलवी और आफताब सिद्दीकी भी पीटीआई छोड़ने वालों में शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब इमरान खान से पूछा गया कि उनके करीबी नेता पीटीआई क्यों छोड़ रहे हैं,तो खान ने जवाब दिया, “लोग नहीं छोड़ रहे हैं; उन्हें बंदूक की नोक पर पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “राजनीतिक दलों को इस तरह की रणनीति के माध्यम से नष्ट नहीं किया जा सकता है।” खान ने कहा कि एक राजनीतिक पार्टी को केवल अपने वोट बैंक की कमी से समाप्त किया जा सकता है।

माना जा रहा है कि पाकिस्तान में गिरफ्तारी, रिहाई और पुनर्गिरफ्तारी के खेल और भ्रमित करने वाली राजनीतिक स्थिति में पीटीआई नेता अपने को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।

इसलिए वे कानूनी पचड़े से बचने के लिए पार्टी और राजनीति  छोड़ रहे हैं। पीटीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी, पीटीआई के प्रवक्ता मुसर्रत जमशेद चीमा और उनके पति जमशेद चीमा को रावलपिंडी की अदियाला जेल से रिहा होने के तुरंत बाद मंगलवार को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।

स्थानीय अदालत के आदेश पर उनकी रिहाई के बाद कुरैशी और चीमा को 3 एमपीओ (सार्वजनिक व्यवस्था का रखरखाव) के तहत 15 और दिनों के लिए हिरासत में रखा गया है। 

शिरीन मजारी को भी 12 मई के बाद से चार बार गिरफ्तार किया जा चुका है। रिहा होने के बाद तुरंत उन्होंने मंगलवार को अपने इस्तीफे तथा सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्ति की घोषणा कर दी।

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