संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि अगर यहां की स्थानीय महिलाओं को संगठन के लिए काम करने की अनुमति नहीं दी गई तो अफगानिस्तान से यूएन अपना हाथ खींच लेगा।
यूएन डिवेलपमेंट प्रोग्राम के हेड ने यह बात कही है। जानकारी के मुताबिक यूएन इस बारे में अगले महीने कोई फैसला ले सकता है।
यूएनडीपी ऐडमिनिस्ट्रेटर अचिन स्टेनर ने कहा, यह सही है कि हम जहां भी काम कर रहे हैं वहीं की सहयोग की क्षमता की समीक्षा करना जरूरी है लेकिन जहां बात मौलिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों की आती है, वहां समझौता नहीं किया जा सकता।
यूएन ने तालिबान के रवैये पर गहरी चिंता जताई है। यहां यूएन की महिला स्टाफ को काम करने से रोकने पर यूएन ने नाराजगी जाहिर की है।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, बिना महिला कर्मचारियों के जीवन रक्षक कार्यों में बाधा आएगी लेकिन नांगरहार प्रांत में महिलाओं को तालिबान के लोग काम नहीं करने देते हैं। उनपर प्रतिबंध लगाकर रखा है।
यूएन ने कहा, अफगान में काबिज सत्ता को यह जानकारी दे दी गई है कि बिना महिला कर्मचारियों के यूएन काम नहीं कर सकता।
बता दें कि अगस्त 2021 में जब से अमेरिका ने अपनी सेना को अफगानिस्तान से हटा लिया था, यहां तालिबान राज कर रहा है। इसके बाद तालिबान ने यहां की जनता पर कई प्रतिबंध भी लगाए हैं। खास तौर पर महिलाओं पर बाहर निकलने, शिक्षा और काम करने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
बता दें कि तालिबान ने दावा किया था कि वह इस बार महिलाओं पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा और उन्हें पढ़ाई व काम करने की छूट देगा। हालांकि सत्ता पर काबिज होने के कुछ दिन बाद ही तालिबान ने असली रंग दिखाना शुरू कर दिया।
तालिबान ने दफ्तरों से महिलाओं की छुट्टी कर दी और कोएड स्कूल भी बंद कर दिेए। अब महिलाओं के लिए अवसर बहुत सीमित कर दिए गए हैं। कुछ जगहों पर घरों में महिलाओं केलिए क्लास चलाई जाती है जहां पुरुष नहीं जा सकते हैं।