प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
हर महीने के सोमवार को पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करते हैं।
इसका धार्मिक रूप से बहुत महत्व होता है, इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करते हैं।
इस दिन जो भी उपवास करता है कुंडली में चंद्रमा मजबूत स्थिति में होता है। ऐसे में अप्रैल महीने में पड़ने वाले सोम प्रदोष व्रत के बारे में आपको पता होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं अप्रैल में किस तारीख को रखा जाएगा उपवास और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
सोम प्रदोष व्रत कब है?
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 03 अप्रैल सुबह 6 बजकर 25 मिनट से अगले दिन यानी 04 अप्रैल सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक है।
पूजा मुहूर्त
03 अप्रैल शाम 5 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। जबकि इस महीने का दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को किया जाएगा।
दूसरा सोम प्रदोष व्रत
17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से त्रयोदशी तिथि लगेगी और प्रदोष व्रत का पूजन शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक किया जा सकता है।
सोम प्रदोष का व्रत
इस दिन सच्चे भक्ति भाव से भक्त पूजा पाठ कर व्रत रखते हैं। कहते हैं कि जो भी भक्त इस सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस व्रत में भोलेनाथ की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। इस व्रत को करने से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है और सभी तरह की विपदाओं को भगवान हर लेते हैं। कहते हैं कि धन की कमी को खत्म करने के लिए भी प्रदोष व्रत लाभदायक है। मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से सभी तरह के रोग दूर हो जाते हैं। इस व्रत को लेकर यह भी मान्यता है कि अविवाहित युवक-युवतियों को प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए। इससे उन्हें योग्य वर वधु की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)