कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कार्य दिवसों या काम के घंटों की संख्या बढ़ाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
मंत्री ने कहा कि अदालतों के लिए अनिवार्य कामकाजी घंटों और कार्य दिवसों की न्यूनतम संख्या तय करने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
राज्यसभा में एक लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत साल में औसतन 222 दिन काम करती रही है।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संबंधित अदालतों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार काम के घंटे, कार्य दिवस और अदालतों की छुट्टियों की संख्या निर्धारित की जाती है।
भारत का सर्वोच्च न्यायालय, भारत के संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, अदालत के अभ्यास और प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिए नियम बनाता है जिसमें इसकी बैठकें और छुट्टियां शामिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने ‘सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013’ तैयार किए हैं, जिन्हें 2014 में अधिसूचित किया गया था।
उन्होंने कहा कि नियमों में प्रावधान है कि ग्रीष्मावकाश की अवधि सात सप्ताह से अधिक नहीं होगी और ग्रीष्मावकाश की अवधि और अदालत तथा न्यायालय के कार्यालयों के लिए छुट्टियों की संख्या उतनी होगी जितनी कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा निर्धारित की जा सकती है। ये 103 दिनों से अधिक नहीं हो सकती है।
उन्होंने कहा अदालतों के लिए अनिवार्य काम के घंटे और कार्य दिवसों की न्यूनतम संख्या तय करने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
इसके अलावा, वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के कार्य दिवसों या कार्य घंटों की संख्या बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।