सुप्रीम कोर्ट के पोर्टल पर सिर्फ हिंदी में ट्रांसलेट किए गए फैसलों की संख्या शनिवार शाम 2000 पार कर चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट की e कोर्ट कमेटी के मुताबिक शनिवार शाम तक 550 नए फैसले अपलोड हो गए हैं।
भारतीय गणतंत्र की 73 वीं वर्षगांठ पर हजार से ज्यादा फैसलों का अनुवाद अपलोड किए जाने से हुई नई शुरुआत अब काफी आगे बढ़ चुकी है।
देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने पिछले हफ्ते ये ऐलान किया था।
गणतंत्र दिवस और अपने स्थापना दिवस को और यादगार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को एक हजार से ज्यादा फैसलों का दस भाषाओं में अनुवाद जारी कर इसकी शुरुआत की।
इनमें हिंदी के अलावा ओड़िया, गुजराती, तमिल, असमी, खासी, गारो,पंजाबी, नेपाली और बांग्ला में भी किया जा रहा है।
बाद में इसका दायरा और भाषाओं तक बढ़ाया जाएगा। इंसाफ के लिए कतार में खड़े देश के अंतिम नागरिक तक न्यायालय और इसके फैसले की पहुंच सरल करने की देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की मुहिम अब तेज हो चली है।
अब न केवल अदालत की चौखट तक पहुंचकर इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना सरल होगा बल्कि देश की न्यायपालिका को सीधे-सीधे आमलोगों तक पहुंचाएगा। अब लोग खुद ही अपनी भाषा में फैसले पढ़कर कानूनी प्रक्रिया के भागीदार बन सकेंगे।
फैसले भी अपनी क्षेत्रीय जबान और लिपि में पढ़ने की सुविधा हो गई है । नई मुहिम के तहत सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी सहित क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों की तादाद बढ़ती जा रही है।
गणतंत्र दिवस से शुरू हुई ये पहल रंग लाने लगी है। सुप्रीम कोर्ट e कोर्ट्स कमेटी के मुताबिक अनुवाद के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन फैसलों का अनुवाद सही हो इसके लिए न्यायिक अफसरों की मदद भी ली जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय एस ओक इनकी निगरानी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की खुद पीएम मोदी ने भी तारीफ की है। वहीं कानूनी पेशे से जुड़े लोग भी मानते हैं कि इससे आम लोगों लोगोंके साथ- साथ दूसरों को भी फायदा होगा।