केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के कंझावला मामले में आरोपियों पर हत्या की धारा लगाने के निर्देश दिए हैं, साथ ही पुलिसकर्मियों को निलंबित करने को कहा है।
सूत्रों ने यह जानकारी दी है, कंझावला मामले में स्पेशल सीपी शालिनी सिंह ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है, इसमें 3 पीसीआर और दो पुलिस पिकेट को लापरवाही का दोषी पाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को कंझावला केस में महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। वारदात के वक्त जो पीसीआर वैन तैनात उनमें मौजूद पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 पुलिस पिकेट में तैनात जवानों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
साथ ही डिस्ट्रिक्ट पुलिस इंचार्ज यानी डीसीपी को कारण बताओ नोटिस देने का निर्देश दिया गया है।
सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस वक्त वारदात हुई इलाके के डीसीपी स्पष्टीकरण दें कि कानून व्यवस्था के क्या इंतजाम है और अगर कुछ उचित जवाब नहीं है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
वारदात की जगह के आसपास इलाकों में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाए। गृह मंत्रालय ने आरोपियों पर 302 की धारा लगाने के भी निर्देश भी दिए।
गौरतलब है कि दिल्ली के कंझावला इलाके में कार सवार युवकों ने 20 साल की अंजलि को टक्कर मार दी थी।
हादसे के बाद युवक कार लेकर भागने लगे। लड़की कार के नीचे फंसी रही और कई किमी तक सड़क पर घिसटती रही।
पुलिस के मुताबिक, उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घसीटे जाने के कारण उसके पैर भी शरीर से अलग हो गए थे।
पुलिस ने इस मामले के सातों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि सातवें आरोपी अंकुश खन्ना को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने जमानत दे दी है।
पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपियों ने माना है कि गाड़ी के नीचे अंजलि के फंसे होने की बात उन्हें पता थी।
आरोपियों ने पुलिस से कहा कि हादसे के बाद उन्होंने कई बार कार का यू टर्न लिया, क्योंकि वे बहुत डर गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने ये भी माना है कि गाड़ी में तेज म्यूजिक चलने वाली कहानी झूठी थी।