सरकार अगले पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक नया राजमार्ग बनाएगी जो भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के करीब से गुजरेगा।
कुछ स्थानों पर यह ‘फ्रंटियर हाईवे’ अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किमी के करीब होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय इस 1,748 किलोमीटर लंबी टू-लेन सड़क का निर्माण करेगा, जिसका बहुत बड़ा सामरिक महत्व है और उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों से लोगों के प्रवास को रोकना है।
यह सबसे लंबा प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसे केंद्र ने हाल के दिनों में एक बार में अधिसूचित किया है।
उत्तर-पूर्व खासकर अरुणाचल में चीन के बार-बार घुसपैठ के प्रयासों को देखते हुए यह सड़क सीमा पर सुरक्षा बलों और उपकरणों की निर्बाध आवाजाही के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी, जिसे NH-913 के नाम से जाना जाएगा।
चीन कथित तौर पर एलएसी पर अपनी तरफ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। एलएसी पर अपनी तैयारियों को पुख्ता रखने के लिए भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने बुनियादे ढ़ांचे को मजबूत कर रहा है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह राष्ट्रीय राजमार्ग बोमडिला से शुरू होगा और नफरा, हुरी और मोनिगोंग से होकर गुजरेगा, जो भारत-तिब्बत सीमा पर निकटतम बिंदु है।
यह सड़क जिदो और चेनक्वेंटी से भी गुजरेगी, जो चीन सीमा के सबसे करीब हैं, और भारत-म्यांमार सीमा के पास विजयनगर में समाप्त होगी।
पूरे नेशनल हाईवे को 9 पैकेजों में बांटा गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस परियोजना पर लगभग 27,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन अब सरकार लागत कम करने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘लगभग 800 किमी का गलियारा ग्रीनफील्ड होगा क्योंकि इन हिस्सों पर कोई मौजूदा सड़क नहीं है।
कुछ पुल और सुरंगें भी होंगी। हमने 2024-25 में इस प्रोजेक्ट के सभी कार्यों की स्वीकृति को पूरा करने की योजना बनाई है और आमतौर पर निर्माण पूरा होने में लगभग 2 साल लगते हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, विभिन्न पैकेज पूरे होंगे, जबकि पूरी परियोजना के 2026-27 तक पूरा होने की उम्मीद है।’
इस प्रोजेक्ट को लेकर पहली बार 2016 में ‘एम्पावर्ड कमेटी ऑन बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर’ ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से, रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार के परामर्श से, गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा अंतिम रूप से तैयार किए गए एलाइनमेंट के आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) तैयारी के लिए कदम उठाने की सिफारिश की थी।
बाद में जुलाई 2018 में गृह मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कुछ अन्य क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अपना इनपुट दिया।
अधिकारियों ने कहा कि एलाइनमेंट को अंतिम रूप देने के बाद, केंद्र सरकार ने नवंबर में इस पूरे गलियारे को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित किया।
जब किसी सड़क को एनएच के रूप में अधिसूचित कर दिया जाता है, तो इसे बनाने की जिम्मेदारी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के पास आ जाती है।
इस फ्रंटियर हाईवे से कनेक्ट होने के लिए अरुणाचल प्रदेश में इंटर-कॉरिडोर विकसित करने का भी प्रस्ताव है।
सरकार इन गतिविधियों को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के करीब स्थित गांवों के विकास को गति देने के लिए देखती है। एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसी सड़कें और विकास कार्य इन गांवों से पलायन पर रोक लगाएंगे।’