आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के अमरावती से बड़ी संख्या में आए किसानों ने तीन राजधानियां विकसित करने के लिए कानून लाने की राज्य सरकार की योजना के विरोध में यहां प्रदर्शन किया।
विभिन्न दलों के सांसद भी उन्हें समर्थन देने के लिए प्रदर्शन में शामिल हुए।
हाथों में तख्तियां और हल लिए किसानों ने मांग की कि राज्य सरकार को केवल अमरावती को ही राजधानी बनाए जाने की पूर्व मुख्यमंत्री एवं तेदेपा के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू द्वारा 2014 में परिकल्पित की गई पहले की योजना पर कायम रहना चाहिए।
यहां जारी एक बयान के अनुसार, जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन में शामिल सांसदों में जयदेव गल्ला और के। राममोहन नायडू सहित तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के सदस्य, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दानिश अली और राज्य की सत्तारूढ़ वाईआरएस कांग्रेस के असंतुष्ट के।
रघु रामकृष्ण राजू शामिल थे। इसके अलावा कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं सहित अन्य कई नेताओं ने भी ‘अमरावती परिरक्षण समिति’ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
प्रदर्शन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सचिव डी राजा और इसके राज्यसभा सदस्य संतोष कुमार शामिल हुए।
राजू ने कहा, ‘किसान चाहते हैं कि सरकार अपनी पहले की प्रतिबद्धता का सम्मान करे। उनकी जमीन अमरावती में राजधानी विकसित करने के नाम पर ली गई है, लेकिन अब सरकार पीछे हट रही है।’
अमरावती परिरक्षण समिति के अध्यक्ष शिव रेड्डी ने कहा कि 2019 में सत्ता में आने के बाद वाईएसआर कांग्रेस ने अमरावती को राज्य की एकमात्र राजधानी के रूप में विकसित करने के पिछली सरकार के फैसले को उलट दिया तथा विशाखापत्तनम तथा कुर्नूल में दो और राजधानियां बनाने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि अमरावती के किसानों ने राजधानी के लिए 33,000 एकड़ जमीन दी थी और अब वे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि किसानों ने अपनी मांगों पर जनता का समर्थन जुटाने के लिए पिछले साल अमरावती से तिरुपति तक एक महा-पदयात्रा भी आयोजित की थी।
संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि पिछले तीन साल से किसान तीन राजधानियों की स्थापना के राज्य सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।