बंदरगाह विरोधी आंदोलनकारियों द्वारा हाल ही में थाने पर किए गए हमले पर चुप्पी तोड़ते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को इस घटना की निंदा की और कहा कि इस तरह के आंदोलन समाज में शांति भंग करने के “स्पष्ट प्रच्छन्न और नृशंस मंशा” के साथ किए गये।
महिला पुलिस कांस्टेबल के नए बैच की पासिंग आउट परेड को यहां डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमले हुए और थाने पर हमला करने की सार्वजनिक धमकी दी गई, लेकिन पुलिस बल ने चतुराई से हमलावरों के इरादे को भांप लिया।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने प्रस्तावित विझिंजम बंदरगाह के विरूद्ध प्रदर्शन कर रहे स्थानीय मछुआरा समुदाय और उसके आंदोलन की अगुवाई कर रहे लातिन गिरजाघर का सीधा उल्लेख नहीं किया।
इस मुद्दे से संवेदनशील तरीके से निपटने को लेकर कानून लागू करने वाले अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि हमला होने और चोट लगने के बाद भी पुलिसकर्मियों के जिम्मेदारपूर्ण आचरण के चलते शांतिपूर्ण माहौल बना रहा।
विजयन ने कहा, ‘हमने देखा है कि कुछ आंदोलनकारियों ने समाज में शांति भंग करने और लोगों के शांतिपूर्ण जीवन को बाधित करने के स्पष्ट इरादे से हिंसा का रास्ता अपनाया था। इसके तहत पुलिस के खिलाफ हमले किए गए और पुलिस थाने पर हमले की खुली धमकी दी गई।’
उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के साहसपूर्ण संयम के कारण ही हमलावरों के इरादे के अनुसार चीजें नहीं हुईं और सरकार को इसका अहसास है।
विझिंजम और अन्य तटीय क्षेत्रों के मछुआरे निर्माणाधीन बंदरगाह के विरूद्ध चार महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके कारण 26 और 27 नवंबर को हिंसा हुई थी।
प्रदर्शनकारियों ने 27 नवंबर की रात को विंझिंजम थाने पर हमला किया था, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गये थे।
मत्स्यिकी मंत्री अब्दुरहीमान ने कहा कि उनके विरूद्ध हाल में सांप्रदायिक टिप्पणी करने को लेकर फादर थियोडासियस डिक्रूज द्वारा मांगी गयी माफी स्वीकार करने को वह तैयार नहीं हैं।
डिक्रूज उन कैथोलिक पादरियों में से एक हैं, जो बंदरगाह विरोधी प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं।
पुलिस ने उनके विरूद्ध मामला दर्ज किया है और प्राथमिकी में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण समेत गंभीर आरोप लगाये हैं।
पुलिस महानिदेशक अनिल कांत ने संकेत दिया कि थाने पर हमला मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने आरोप लगाया कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार प्रदर्शनकारियों को ‘आतंकवादी’ करार देने की कोशिश कर रही है, जो बहुत ही निंदनीय है।