नवम्बर के पहले पखवाड़े में स्वावलंबी गौठान ने खरीदा 2.58 करोड़ रूपए का गोबर।
गौठानों में अब तक 24.74 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट उत्पादित, 300 गौठानों में बन रहे सर्वसुविधायुक्त ग्रामीण औद्योगिक पार्क।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 20 नवम्बर को अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के तहत आयोजित राशि अंतरण के कार्यक्रम में हितग्राहियों को ऑनलाइन कुल 7 करोड़ 14 लाख रूपए की राशि का अंतरण करेंगे, जिसमें गोबर विक्रेताओं को 4.55 करोड़, गौठान समितियों को 1.17 करोड़ तथा स्व-सहायता समूहों को 1.42 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत स्वावलंबी गौठान अब स्वयं की राशि से गोबर क्रय करने लगे हैं।
नवम्बर माह के प्रथम पखवाड़े में स्वावलंबी गौठानों ने 2 करोड़ 58 लाख रूपए का गोबर खरीदा है, जबकि शासन द्वारा 1 करोड़ 97 लाख का गोबर क्रय किया गया है।
राज्य में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ग्रामीण पशुपालक किसानों से गोबर क्रय करने में छत्तीसगढ़ सरकार के साथ-साथ अब स्वावलंबी गौठान भी बराबर की भागीदारी निभाने लगे हैं।
राज्य में औसत रूप से प्रत्येक पखवाड़े 4 से 5 करोड़ रूपए की गोबर खरीदी गौठानों में हो रही है, जिसमें से दो से ढ़ाई करोड़ रूपए का गोबर स्वावलंबी गौठान स्वयं की राशि से कर रही है।
बीते कुछ पखवाड़े से यह स्थिति बन गई है कि गोधन न्याय योजना के तहत हो रही गोबर खरीदी की राशि का लगभग 50 प्रतिशत से भी कम का भुगतान ही सरकार के जिम्मे आ रहा है।
राज्य में 4010 गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी बन गए हैं इन गौठान समितियों के पास 103 करोड़ रूपए की पूंजी जमा है। गौठान समितियों ने अब तक 26.73 करोड़ रूपए का गोबर स्वयं की राशि से क्रय किया है।
गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर खरीदी के एवज में अब तक गोबर विक्रेता पशुपालक ग्रामीणों को 179.28 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है।
20 नवम्बर को 4.55 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आकड़ा 183.83 करोड़ रूपए हो जाएगा।
इसी तरह गौठान समितियों और महिला समूहों को लाभांश के रूप में 164.24 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। 20 नवम्बर को 2.59 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह राशि बढ़कर 166.84 करोड़ रूपए हो जाएगी।
यहां यह उल्लेखनीय है कि महिला स्व-सहायता समूहों को वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय के पश्चात शासन द्वारा 18 करोड़ रूपए के विशेष बोनस का भुगतान किया गया था।
राज्य में 10 हजार 448 गौठान स्वीकृत किए गए, जिनमें 9 हजार 36 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं।
गौठानों में पंजीकृत विक्रेताओं और पशुपालकों से 2 रुपए प्रति किलो की दर पर गोबर खरीदी की जा रही है।
इससे 3 लाख 2 हजार 118 ग्रामीण, पशुपालक और भूमिहिन लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें भूमिहीनों की संख्या 1 लाख 66 हजार 279 हैं। लाभान्वितों में 46.13 फीसदी महिलाएं हैं।
अलग-अलग वर्गों में अन्य पिछड़ा वर्ग के 49.03 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 39.56 फीसदी, अनुसूचित जाति के 8.10 फीसदी लाभान्वित हैं।
गौठानों में क्रय गोबर से 24 लाख 74 हजार 750 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 16 लाख 3 हजार 536 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट की बिक्री 10 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से हुई है।
इसी तरह 3 लाख 80 हजार 985 क्विंटल सुपर कंपोस्ट की बिक्री 6 रुपए और 3 हजार 46 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस की बिक्री 6.50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से सहकारी समिति के माध्यम से किसानों को की जा चुकी है। गौठानों में गौमूत्र की सरकारी खरीदी भी की जा रही है।
अब तक 83 गौठानों में स्व-सहायता समूहों द्वारा 4 रुपए प्रति लीटर की दर से अब तक 95 हजार 241 लीटर गौमूत्र क्रय किया गया है, जिससे 32 हजार 266 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र तथा 19 हजार 555 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन किया गया है, जिसकी बिक्री से अब तक 15 लाख रुपए आय अर्जित हो चुकी है।
गौठानों से जुड़े 11 हजार 187 स्व-सहायता समूहों के 83 हजार 874 सदस्यों को विभिन्न कार्यों से 85 करोड़ 79 लाख रुपए आमदनी हुई।
राज्य के लगभग 300 गौठानों में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाने की शुरूआत हो चुकी है।