आफताब ने 2010 देहरादून मर्डर के बारे में किया था गूगल, श्रद्धा वालकर हत्याकांड से काफी समानता…

शरीर को काटने से लेकर उसके लिए एक नया रेफ्रिजरेटर खरीदने और फिर उसे जंगल में फेंकने तक… दिल्ली में आफताब पूनावाला द्वारा अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या की 2010 के देहरादून के अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के साथ कई समानताएं हैं।

आफताब पूनावाला के इंटरनेट सर्च हिस्ट्री से पता चलता है कि उसने देहरादून हत्याकांड के बारे में पढ़ा था। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

आफताब (28) को विन-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की कथित रूप से गला घोंटकर हत्या करने को लेकर 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस ने बताया कि पूनावाला ने 18 मई को झगड़े के बाद कथित तौर पर उसका गला घोंट दिया और अगले दिन उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए, जिन्हें उसने दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा तथा कई दिनों तक विभिन्न हिस्सों में फेंकता रहा।

दिल्ली के महरौली में सामने आए वीभत्स श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने 12 साल पहले देहरादून के ‘डीप फ्रीजर हत्याकांड’ की याद ताजा कर दी, जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने दंरिदगी की हदें पार करते हुए अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की हत्या करने के बाद उसके शव के 72 टुकड़े कर दिए थे।

वर्ष 2010 में हुए अनुपमा हत्याकांड और हाल ही में सामने आए श्रद्धा हत्याकांड में केवल आरी से शव के टुकड़े किए जाने की ही समानता नहीं है, बल्कि दोनों मामलों में हत्यारे शवों की बदबू को छिपाने के लिए फ्रिज या डीप फ्रीजर खरीदकर ले आए।

श्रद्धा के शव के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के लिए उसका कथित हत्यारा आफताब पूनावाला जिस तरह से 18 दिन तक रात के अंधेरे में महरौली के जंगलों में जाता रहा, उसी प्रकार अनुपमा का पति राजेश गुलाटी भी कई दिन तक उसके शव के टुकड़े एक-एक कर राजपुर रोड पर मसूरी डायवर्जन के करीब पड़ने वाले नाले में फेंकता रहा।

दोनों ही घटनाओं में कातिल इतने शातिर निकले कि शव के टुकड़ों के कई दिनों तक घरों में मौजूद होने के बावजूद पड़ोसियों तक को वारदात के बारे में महीनों तक पता ही नहीं चला।

हत्या के बाद गुलाटी अनुपमा के ईमेल से संदेश भेजकर उसके परिवार और मित्रों को गुमराह करता रहा। वहीं, पूनावाला भी श्रद्धा के सोशल मीडिया स्टेटस को कई सप्ताह तक अपडेट करता रहा।

अनुपमा की हत्या 17 अक्टूबर 2010 को हुई थी, लेकिन इसका खुलासा 12 दिसंबर 2010 को उस समय हुआ, जब कई कोशिशें के बावजूद अपनी बहन से संपर्क करने में नाकाम रहा उसका भाई पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचा।

हालांकि, महरौली हत्याकांड में श्रद्धा की सहेली ने उसके भाई को उसका फोन काफी दिनों से बंद आने की सूचना दी, जिसके बाद उसके पिता ने पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

मामले को छिपाने के नजरिए से दोनों घटनाओं में काफी समानताएं हैं, जिसमें राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी के भाई से फोन पर बात की ताकि यह लगे कि वह ठीक है। इसी तरह की कोशिश करते हुए आफताब पूनावाला ने अपनी गर्लफ्रेंड के इंस्टाग्राम अकाउंट का इस्तेमाल उसके दोस्तों के साथ चैट करने के लिए किया, लेकिन उसके दोस्तों को शक हुआ और उन्होंने श्रद्धा के पिता से कहा, जिन्होंने पिछले साल से उससे बात नहीं की थी।

दिल्ली और महाराष्ट्र पुलिस के लिए इंस्टाग्राम चैट  के महत्वपूर्ण सबूत बन गए। इस तरह से पिता द्वारा ‘लापता’ रिपोर्ट दर्ज करने के लगभग एक महीने बाद मामले को पुलिस ने सुलझा लिया।

अनुपमा हत्याकांड की जांच की निगरानी करने वाले देहरादून के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गणेश सिंह मर्तोलिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि इस तरह की हत्याएं और शवों के टुकड़े करने वाला व्यक्ति सामान्य मानसिकता वाला नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने पूरे करियर में ऐसा मामला नहीं देखा था, जिसमें शव के साथ इतनी दंरिदगी की गई हो।’

हालांकि, मर्तोलिया ने कहा कि इस तरह की हत्याएं अचानक नहीं होतीं और दंपति के बीच झगड़ों और घरेलू हिंसा के रूप में वारदात के सिग्नल पहले से ही मिलने शुरू हो जाते हैं।

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