आदित्य रघुवंशी, सिलवानी.
Latest Silwani News In Hindi : समाज के सभी सदस्यों के सामूहिक रुप में बैठने व कार्य करने से धर्म की प्रभावना बढ़ती है। एकता की भावना का विकास होता है। कार्य की सिद्वी होती है। निर्णय लेने में सहजता होती है। बल्कि सभी समाजजन देव गुरु शास्त्र के अनुयाई होते है। यह उद्गार मुनि विलोक सागर महाराज ने समाजजनों के बीच व्यक्त किए।
वह नगर के दिगंबर जैन त्रिमूर्ति जिनालय में आयोजित दस दिवसीय समवशरण महामंडल विधान व विश्व शांति महायज्ञ के समापन अवसर को संबोधित कर रहे थे। यहां पर विधानाचार्य बाल ब्रम्हचारी नवीन भैया जबलपुर व ब्रम्हचारी आषुतोष भैया के द्वारा महामंडल विधान के समापन सत्र की क्रियाएं सम्पन्न करा कर विश्व शांति महायज्ञ की पूर्णाहूति भी अनुष्ठान के साथ पूर्ण कराई।
मुनिश्री ने बताया कि एकता, अखण्डता, अक्षुण्यता, सद्भावना को अपना कर ही समाज को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। एकता व संगठन में ही सफलता का राज छिपा होता है। एकता, अनुशासन से विकास व टूट से विनाश होता है। पंगु, खण्ड,खण्ड व विखरी समाज कभी भी विकास नहीं कर सकती है और ना ही कार्य में रिद्वी सिद्वी को प्राप्त कर सकती है। बल्कि देश, गुरु, समाज, धर्म की रक्षा भी नहीं कर सकती है।
सवाईसेठ परिवार बना श्रावक श्रेष्टी
10 दिनी समवशरण महामंडल विधान तथा विश्व शांति महायज्ञ के समापन दिवस गुरुवार को श्रावक श्रेष्टी बनने का सौभाग्य सवाई सेठ प्रभारानी जैन, राजीव समैया, संजय समैया बल्ले भैया, शुभ, देव जैन सहित सवाई सेठ परिवार को प्राप्त हुआ। सवाई सेठ परिवार के द्वारा श्रावक श्रेष्टी बन कर पूजन की सभी क्रियाए पूर्ण की गई।
निकाली गई विराट समवशरण महा मंडल रथ यात्रा
आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य व आचार्य आर्जव सागर महाराज के शिष्य मुनि विलोक सागर महाराज व मुनि विबोध सागर महाराज के सानिध्य में आयोजित किए गए दस दिवसीय समवशरण महा मंडल विधान व विश्व शांति महायज्ञ कार्यक्रम का समापन गुरुवार को किया गया । समापन अवसर पर नगर में विराट विराट समवशरण महा मंडल रथ यात्रा चल समारोह निकाला गया। जो कि कार्यक्रम स्थल से प्रारंभ होकर नगर के अनेक मार्गो गुजरता हुआ बुधवारा बाजार स्थि पार्श्वनाथ जिनालय पहुंच कर समाप्त हो गया।
शोभायात्रा में चांदी जडि़त तीन विमान में श्रीजी की प्रतिमा विराजमान की गई। श्रीजी की प्रतिमाओं की अनेकों स्थानों पर आरती उतारी गई। शोभायात्रा में सबसे आगें अश्व पर सवार समाजजन धर्म ध्वजा लहलहाते हुए सवार हुए। यहां पर एरावत हाथी, वाद्य यंत्र, ढोल को भी शामिल किया गया । इसके पश्चात पाठशाला के छोटे छोटे बच्चे हाथो में धर्मध्वजा थामें अनुशासित होकर जयकारा लगाते हुए चल रहे थे ।
नगर की बाल ब्रम्हचारी बहने खुले वाहन में विराजामन हुई। इसी क्रम में अष्ट कुमारिया बालिका मंडल के साथ चल रही थी। इंद्राणी महिला मंडल की सदस्याए मंगल कलश रखे चल समारोह को शोभायमान कर रही थी। रथ यात्रा में मुनि विलोक सागर महाराज व मुनि विबोध सागर महाराज भी शामिल हुए । विधान के सभी पात्रो को विभिन्न रथो में क्रमशः सवार किया गया था।
ढोल धमाको,गाजे बाजे, डीजे सहित अनेको वाद्य यंत्रो के साथ निकाली गई शोभायात्रा में शामिल हुए युवा धर्म ध्वजा लहलहाते, नांचते गाते जश्न मनाते हुए शामिल हुए। समाप्ति पर समिति के पदाधिकारियो ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप में सहयोग करने वालो का आभार माना। 10 दिनी समवशरण महामंडल विधान के समापन पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई । विमान में श्रीजी को विराजमान कर रथ में सवार हुए विधान के पात्र। समापन दिन श्रावक श्रेष्टी बनने का सौभाग्य सवाई सेठ राजीव समैया, संजय समैया को परिवार के परिवार को प्राप्त हुआ।